उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है पुलिस अपराधियों के सफाए में लगी हुई है. कई हजार एनकाउंटर कर चुकी यूपी पुलिस ने अब तक एक से बढ़कर एक कुख्यात अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है, लेकिन नोएडा से एक लाख रुपये के इनामी कुख्यात अपराधी श्रवण चौधरी का एनकाउंटर यूपी पुलिस की सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है.शामली में रहते हुए SSP अजयपाल शर्मा ने जहां अपराधियों को ‘हमें माफ कर दो’ की तख्ती लेकर घूमने पर मजबूर कर दिया, वहां नोएडा का कार्यभार संभालते ही उन्होंने यह सबसे बड़ी सफलता दिला दी. पुलिस की गोली से ढेर श्रवण चौधरी की बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. श्रवण कितना शातिर अपराधी था, यह उसके अपराधों की फेहरिश्त देखकर अंदाजा हो जाएगा.
चोरी से की शुरुआत
श्रवण चौधरी एक कुख्यात आरोपी था. श्रवण गाड़ियां चुराकर उनकी तस्करी किया करता था. शुरुआत में वह छोटे वाहन चोरी किया करता था. इसके बाद उसे लग्जरी गाड़ियों की डिमांड मिलने लगी, तब वह लूटपाट भी करने लगा. इस बीच जरायम की दुनिया में उसका नाम इतना बढ़ गया कि गाड़ियों की खरीद फरोख्त के लिए उसने अपना एक पूरा गैंग बना डाला.
कहां तक फैला था नेटवर्क
बताया जा रहा है कि इसका नेटवर्क आठ से अधिक राज्यों में फैला हुआ था. श्रवण के आपराधिक कुकर्मों का दायरा मुख्य रूप से दिल्ली, यूपी, झारखंड और हरियाणा तक फैला हुआ था. बीते कुछ समय में श्रवण पर कई हत्याओं में भी शामिल होने का आरोप है. श्रवण के नाम पर अलग अलग राज्यों में 14 केस दर्ज हैं. जिसके बाद दिल्ली और नॉएडा में इसके सर पर 50-50 हज़ार रूपए का इनाम घोषित कर दिया गया था.
दिल्ली एनसीआर में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले श्रवण ने एक दशक में कार लूट का बहुत बड़ा गिरोह बना लिया था. इसके अलावा पिछले दो साल से गाड़ी लूट में कुछ ज्यादाही सक्रिय था. बताया जा रहा है कि लूटी गाड़ियों को वह झारखंड व छत्तीसगढ़ में जाकर सप्लाई कर देता था.
नक्सलियों से भी थे संबंध
कार चोरियों के साथ-साथ जरायम की दुनिया में श्रवण का नाम इतना बढ़ गया था उसके लिंक झारखंड व छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से भी जुड़ गए. श्रवण चोरी कर नक्सलियों को लग्जरी गाड़ियां सप्लाई करने लगा. इसके लिए वह दिल्ली, यूपी, झारखंड व हरियाणा से लग्जरी गाड़ियां चुराता था.
इसके आलावा अपराध की दुनिया के इस बादशाह का संपर्क महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ व झारखंड के नक्सलियों से भी होने की जानकारी मिली है, जिसे लेकर पुलिस अभी जांच कर रही है.
इस तरह काम करता था श्रवण का गैंग
पुलिस के मुताबिक, शातिर श्रवण ने अपना गैंग तो बना लिया था, लेकिन वह किसी पर भी विश्वास नहीं करता था. शुरुआत में तो उसने कई गिरोहों के लिए काम किए, लेकिन अपना गैंग बनाने के बाद उसने किसी अन्य गैंग से संपर्क नहीं रखा.
पिछले दिनों श्रवण का भाई भी दिल्ली में पकड़ लिया गया था. वह नया गिरोह बनाने वाला था, जिसके लिए उसे नए गैंग मेम्बर्स की तलाश थी. जिससे गैंग का और विस्तार किया जा सके और बड़ी वारदातों को अंजाम दिया जा सके.
गवाहों को लगवा देता था ठिकाने
श्रवण के गैंग की इतने लंबे समय तक पुलिस के हत्थे न चढ़ने की सबसे बड़ी वजह यह थी कि पकड़े जाने पर वह गवाह को ही मरवा देता था. पिछले साल सीलमपुर में एक शख्स की हत्या हुई थी. इसमें श्रवण चौधरी व उसका भाई आरोपी है. उसका भाई इसी मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है.
श्रवण की योजना थी कि इस मामले में दोनों भाइयों के खिलाफ गवाह देने वालों की हत्या कर दी जाए. ताकि उसका भाई छूट जाए. वह इसी मकसद से कुछ दिनों से दिल्ली-नोएडा में अधिक सक्रिय था और इसके लिए नए लोगों की तलाश कर रहा था.
श्रवण ने किया था प्रेम विवाह
श्रवण ने प्रेम विवाह किया था. अंतर्जातीय विवाह करने के कारण उसका घर में विरोध भी हुआ था, लेकिन बाद में सभी मान गए थे. शादी के बाद से उसका नेटवर्क बढ़ता गया और वह परिवार से दूर होता चला गया. हालांकि पुलिस से बचने के लिए पत्नी के साथ इधर-उधर घूमने जाता था.
नहीं रखता था फ़ोन
बताया जाता है कि श्रवण चौधरी पुलिस से बचने के लिए अपने पास मोबाइल नहीं रखता था. क्योंकि उसे मोबाइल के ज़रिये ट्रैक हो जाने का डर था. अगर उसे किसी से बात करनी होती थी तो वह किसी दूसरे के मोबाइल से फोन करता था, फिर वहां से तुरंत भाग जाया करता था.
वह अपने साथियों के फोन से बस कहीं मिलने की जगह फाइनल करता था. इसके बाद कार में बैठकर साथियों के फोन बंद कर रास्ते में सफर करते हुए ही क्राइम की प्लानिंग करता था. इस कारण वह पुलिस की नजर से काफी दिनों तक बचता रहा.
एके 47 हुई बरामद
मुठभेड़ के बाद पुलिस ने श्रवण की कार से अत्याधुनिक एके-47 बरामद की है. पुलिस अभी इसकी जांच कर रही है. हालांकि प्राथमिक जांच में यह पता चला है कि यह एके 47 नेपाल से खरीदा हो सकता है. एके 47 पर लिखे गए नंबर की जांच की जा रही है. पुलिस को शक है कि श्रवण को यह एके 47 नक्सली संगठनों से मिली होगी. वहीं कार से बरामद राइफल नोएडा के ही बिसरख थाना क्षेत्र से 5 सितंबर को लूटी गई थी.
इस तरह चढ़ा पुलिस के हत्थे
श्रवण पिछले कई महीनों से पुलिस के रडार पर था. लेकिन कड़ी कोशिशों के बावजूद पुलिस श्रवण को गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी. इस बीच पुलिस ने श्रवण पर नजर रखने के लिए दिल्ली और नोएडा में उसके पीछे कई मुखबिर लगाए थे, जिनसे उसके बारे में जानकारी मिल सके.
इसी दौरान पुलिस को उसके नॉएडा फेज 3 के गढ़ी गोलचक्कर पर होने की खबर मिली, जिसके बाद पुलिस ने इलाके की घेरेबंदी कर दी. पुलिस और श्रवण के गैंग का आमना-सामना भी हो गया, लेकिन श्रवण ने पुलिस टीम पर ही फायरिंग झोंक दी.
पुलिस ने भी जवाब में फायरिंग की और एक गोली श्रवण को लग गई. करीब एक दशक तक आतंक का पर्याय बन चुका श्रवण जमीन पर गिर चुका था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और तुरंत अस्पताल पहुंचाया, हालांकि उसकी जान नहीं बचाई जा सकी.