दुनिया में पहली बार कोरोना वायरस का सबसे गर्म टीका बनाने में भारत को कामयाबी मिल चुकी है। देश के वैज्ञानिकों ने 100 डिग्री तापमान पर भी सुरक्षित रहने वाले एक ऐसा टीका विकसित किया है जिसका इस्तेमाल और भंडारण तक काफी सहूलियत भरा है।
अब तक सामने आए जाए तरीका आठ डिग्री से कम तापमान में सुरक्षित-
अभी तक दुनियाभर में जितने भी पी के सामने आए हैं। वह सभी 8 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पर सुरक्षित रखे जा सकते हैं। जबकि बंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों ने ज्यादा तापमान पर रखे जाने वाला टीका तैयार किया है।
पहली बार सबसे गर्म तापमान पर रहने वाला टीका आया सामने-
इस टीके को एक महीने तक कम से कम 37 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सुरक्षित रखा जा सकता है। भारतीय वैज्ञानिकों की इस कामयाबी को जनरल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित भी किया है। आईआईएससी के वैज्ञानिकों के संगठन मायनवैक्स के सह संस्थापक डॉ. गौतम नाथ ने बताया कि अभी तक देश में 5 तरह के परीक्षण चल रहे हैं।
जबकि दुनियाभर में काफी तरह के टीकों पर परीक्षण चल रहा है। लेकिन यह सभी तापमान पर सुरक्षित जा सकते हैं। भारत के पास कम तापमान की सुविधा नहीं है। इस सुविधा को विकसित किया जाए तो भी बड़ा बजट और लंबा समय लग सकता है।
10 माह अध्ययन के बाद तैयार किया गया गर्म टीका-
आईआईएससी के मोलिक्यूलर बायोफिजिक्स के प्रोफेसर राघवन वरदराजन ने बताया टीम ने वायरस के विषाणु पर बीते 10 माह अध्ययन के बाद गर्म टीका तैयार किया है। जिसका मानव परीक्षण किया जा सकता है।
सभी टीके शरीर में एंटीबॉडी या प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं जबकि उनकी टीम ने रिसेप्टर बाइडिंग डोमेन के सहारे टीका तैयार किया है। जो वायरस के विषाणु की प्रोटीन संरचना को तबाह कर देता है। 8 वैज्ञानिकों ने मिलकर यह अध्ययन किया है जिसमें से तीन उनकी लैब में कार्यरत वैज्ञानिक हैं।
चूहों-सूअरों पर दिखा सर-
वैज्ञानिकों का कहना है कि चूहों-सूअरों पर सबसे पहले परीक्षण किया गया है। जानवरों में या टीका पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी तैयार कर रहा है। इन्हीं के आधार पर अब इसे मानव परीक्षण के लिए तैयार कर लिया है। पहले दो चरण एक साथ आयोजित किए जा सकते हैं। जबकि तीसरा अलग से रखा जा सकता है।
यह हैं प्रमुख टीके-
फाइजर का टीका-70 डिग्री मॉडर्ना कंपनी का टीका-20 डिग्री तक भंडारण किया जा सकता है
भारत बायोटेक, स्पूतनिक-5, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, जायडस कैडिला सहित कई कंपनियों का टीका 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर सुरक्षित रखा जा सकता है।
इसलिए सबसे अलग-
वैज्ञानिकों के अनुसार, वायरस के विचारों में स्पाइक प्रोटीन होता है जो कोशिकाओं तक पहुंचने के बाद आकार बदल लेता है। मानव शरीर में यह टीका भी सवालों को कोशिकाओं में फैलने से रोक लेता है।