सोनिया गांधी को कांग्रेस संगठन में सर्जरी की सलाह देने वाले दिग्विजय सिंह आखिर में क्यों खुलकर बोल रहे हैं? दरअसल, दिग्विजय समेत कांग्रेस के कमलनाथ, एके एंटनी जैसे नेता सोनिया को 2014 की करारी हार के बाद पार्टी में बदलाव का रोड मैप सौंप चुके हैं. हार के कारणों की समीक्षा के लिए बनी एंटनी कमेटी भी अपनी रिपोर्ट सोनिया को सौंप चुकी है. लेकिन अब तक उस पर कोई एक्शन नहीं हुआ, उलटे कांग्रेस चुनाव दर चुनाव हारती गई . इसी के चलते अब आवाजें खुलकर उठने लगीं हैं.
किसने क्या दी सोनिया को सलाह-
सूत्रों के मुताबिक, अपनी-अपनी रिपोर्ट में कांग्रेस के दिग्गज सोनिया को अपनी सलाह लिखित में दे चुके हैं. अपनी रिपोर्ट में दिग्विजय सिंह ने बेबाक होकर सुझाव दिए और सोनिया से बेफिक्र हो कर एक्शन लेने की गुजारिश की थी. सूत्रों के मुताबिक, दिग्गी ने कहा था-
1. राहुल गांधी को फौरन अध्यक्ष बनाया जाए. अब देरी करना ठीक नहीं. जब वही भविष्य हैं तो फिर देरी कैसी.
2. राहुल का तय किया हुआ यूथ कांग्रेस का चुनावी तरीका बदला जाए, चुनाव सिर्फ बड़े पद पर हो, नीचे के लेवल पर मनोनीत करने का सिस्टम दोबारा लागू हो. दिग्विजय का मानना है कि, यूथ कांग्रेस का सिस्टम पूरी तरह बदल कर राहुल ने यूथ कांग्रेस को युवाओं से दूर कर दिया
3. कांग्रेस में एक ही मेंबरशिप हो यानी मुख्य कांग्रेस, सेवादल, महिला कांग्रेस, एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस के अलग-अलग मेंबर ना हों, बल्कि सब कांग्रेस के मेंबर हों और बाद में इन संगठनों में भेजा जाये, इससे आपस में सामंजस्य रहेगा, जो आज नहीं है.
4. देश बदल रहा है, इसलिए युवाओं को ज्यादा जगह दी जाए.
5. सोशल मीडिया का इस्तेमाल ज्यादा हो, इसकी जरुरत को जल्दी से जल्दी समझ जाए.
6. चुनाव प्रचार में पुराने तरीकों की बजाय आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल हो.
7. राहुल गांधी पार्टी का भविष्य हैं, वो अपने विचारों को ज्यादा तेजी से और खुलकर जनता के सामने रखें, वो और ज्यादा अपनी बात हर फोरम पर कहें. राहुल पार्ट टाइम राजनीती करते हुए दिख रहे हैं, जो नुकसानदेह है.
8. फैसला गांधी परिवार करे लेकिन प्रियंका का राजनीती में आना समय और कार्यकर्ताओं की मांग.
9. देश के तमाम बड़े शहरों में कांग्रेस कार्यसमिति को मीटिंग आयोजित हों, सिर्फ दिल्ली तक सिमटकर न रहे कांग्रेस.
10. हिन्दू कट्टरवाद हो या मुस्लिम कट्टरवाद, कांग्रेस कट्टरवाद के खिलाफ कड़ाई से लड़ती दिखाई दे क्योंकि, यही कांग्रेस का मूल सिद्धांत है, जिसको इंदिरा गांधी फॉलो करती थीं.
ऐके एंटनी की अंतहीन कमेटी –
एंटनी साहब को कांग्रेस में कई बार हार और पार्टी को मजबूत करने की रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया, वो रिपोर्ट बनाते रहे, सोनिया को सौंपते रहे, लेकिन ना उस रिपोर्ट पर कोई एक्शन हुआ और न कभी उनकी रिपोर्ट सार्वजानिक हुई, इसीलिए कांग्रेसी उनकी कमेटी को अंतहीन कमेटी का नाम देते हैं. क्या कहा कमेटी ने-
1. लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के टिकट 6 महीने पहले और विधानसभा चुनाव में 3 महीने पहले घोषित हों.
2. कांग्रेस पार्टी सभी धर्मों को साथ लेकर चलती है, लेकिन इस तोहमत से पीछा छुड़ाने के प्रयास हों कि, कांग्रेस प्रो-मुस्लिम है.
3. कांग्रेस के हिन्दू नेता बाकी धर्मों के त्योहारों और कार्यक्रमों में हिस्सा लें, लेकिन हिन्दू धर्मों के त्योहारों और कार्यक्रमों को इग्नोर ना करें.
4. गरीबों के हक की लड़ाई लड़ते हुए पार्टी कॉर्पोरेट जगत के खिलाफ न दिखे, दोनों के बीच बेहतर तालमेल की नीति अपनायी जाए.
5. अन्ना हजारे और बाबा रामदेव जैसे आंदोलनों से निपटने में राजनीतिक तरीका अपनाया जाए, तमाम मंत्रियों को लगाकर न ही पैनिक किया जाए और न ही गिरफ्तार कर गैर राजनीतिक कदम उठाये जाएं.
वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने दिलाई संजय-इंदिरा के दौर की याद-
1. कमलनाथ ने कहा कि, दो पॉवर सेंटर होना ही कांग्रेस के लिए नुकसानदेह है. जैसे इंदिरा-संजय और आज सोनिया-राहुल. इसलिए एक ही पॉवर सेंटर होना चाहिए. इसके लिये सोनिया चाहें तो राहुल को अध्यक्ष बना दें.
2. बड़ी हार के बाद पार्टी संगठन में बदलाव किये जाएं, पुराने चेहरों की जगह नए चेहरों को जगह दी जाए.
प्रियंका को जिम्मेदारी देने की सलाह देने वाले दरकिनार-
हंसराज भारद्वाज और माखनलाल फोतेदार सरीखे नेताओ ने सोनिया से प्रियंका गांधी को अहम जिम्मेदारी देने की वकालत की, लेकिन सोनिया ने दो टूक कहा कि, राहुल बड़े हैं और वही संभालेंगे.
सोनिया को सलाह देकर उलझे सोनिया के सलाहकार-
सोनिया के करीबी जनार्दन द्विवेदी ने दो अहम सुझाव दिए, जिसके बाद से उनके भविष्य पर ही सवालिया निशान लग गया. जनार्दन ने कहा-
1. राजीव गांधी ने प्रियंका गांधी में राजनीतिक भविष्य देखा था, प्रियंका में राजनीतिक रुचि के बातें राजीव किया करते थे.
2. आरक्षण से क्रीमी लेयर को हटाया जाए और गरीब सवर्णों को इसका फायदा दिया जाए. ये राजीव गांधी के वक्त सीडब्लूसी की बैठक में तय हुआ था, आज वक्त इसको लागू करने का है.
इसके बाद ही जनार्दन द्विवेदी सोनिया की आंख का तारा नहीं रहे, आरक्षण के मामले पर तो सोनिया ने बयान जारी कर उनकी किरकिरी कर दी.
क्या हुआ है तय-
1. संगठन में तकनीकी बदलाव की दिग्विजय की सलाह सोनिया और राहुल मान गए हैं.
2. कमान राहुल के हाथ ही होगी लेकिन प्रियंका को 2019 के पहले राहुल के सहयोग के लिए संगठन महासचिव बनाने के लिए सोनिया मन बना रही हैं. संभव है कि, 2019 में प्रियंका रायबरेली से सोनिया की जगह लोकसभा चुनाव लड़ें.
3. राहुल को अध्यक्ष बनाने को भी सोनिया तैयार हैं, लेकिन सही वक्त का इंतजार कर रही हैं सोनिया.
4. राहुल की टीम में सिर्फ युवाओं की बजाय अनुभवी और नौजवान दोनों का सामंजस्य बने इसके लिए सोनिया ने राहुल को मनाया, हां, अनुभवी नेता राहुल की पसंद के ही होंगे यानी संगठन में बदलाव पर बन गई है सहमति.
5. प्रो-मुस्लिम छवि तोड़ने पर भी राहुल-सोनिया सहमत. इसीलिए राहुल केदारनाथ समेत तमाम मंदिरों में नजर आते हैं. कोशिश सभी धर्मों को बराबर मानते हुए दिखने की रहेगी.
कुल मिलाकर बड़ी और लगातार हारों ने सोनिया गांधी को मजबूर कर दिया है कि, वो नए कदम उठाएं लेकिन देरी ने नेताओं को जुबान खोलने के लिए मजबूर कर दिया. ऐसे में जब नेताओं की जुबान खुलने लगी तो माना जा रहा है कि, अब शायद कांग्रेस में जल्दी ही काफी कुछ होने वाला है.