1954 में क्रांतिकारियों ने दादर-नागर हवेली से पुर्तगालियों को खदेड़ा था बाहर,7 साल बाद बना भारत....

1954 में क्रांतिकारियों ने दादर-नागर हवेली से पुर्तगालियों को खदेड़ा था बाहर,7 साल बाद बना भारत….

New Delhi: 11 अगस्त, 1961 ये वो दिन था जब दादरा एवं नागर हवेली का भारत में विलय हुआ था और इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। 1779  तक दादर एवं नागर पर मराठाओं का शासन था। उसके बाद 2 अगस्त, 1954 तक पुर्तगाली साम्राज्य ने अपना शासन जमा लिया।1954 में क्रांतिकारियों ने दादर-नागर हवेली से पुर्तगालियों को खदेड़ा था बाहर,7 साल बाद बना भारत....बाढ़ का बढ़ता कहर, गुजरात में मरने वालों की संख्या हुई हद से भी ज्यादा…

कहते हैं इतिहास अपनी बांहों में उन तमाम यादों को समेटे होता है, जिनका आमना-सामना या तो तारीख करवाती हैं या वक्त-बेवक्त घटने वाली घटनाएं। गोवा की तरह यह इलाका भी कई साल पुर्तगाली प्रभाव में रहा पर एक दिन ऐसा आया जब यहां भी तिरंगे को जगह मिली। यह नागर हवेली महाराष्ट्र और गुजरात के बीच बसा है।  

 

 

इस केंद्रशासित प्रदेश की राजधानी सिलवासा है। आधुनिकता व इंटरनेट युग की सांठगांठ भारत में इसका विलय 11 अगस्त 1961 में हुआ। तब आधुनिकता व इंटरनेट युग अपना सिर उठा रहे थे। देश-देश में तरक्की की तलाश को लेकर प्रतिभागिता चल रही थी। ऐसे में यह विलय भारत के लिए बड़ी चुनौती से निपटना साबित हुआ।  2 अगस्त 1954 को पुर्तगाली साम्राज्य से मुक्ति मिली। अन्य भौगोलिक परिस्थ‍ितियों की बात करें तो यहां की मुख्य नदी दमन गंगा है। अधिकतर इलाका पहाड़ी है व हिल स्टेशन की शक्ल लिए हुए है। पूर्वी हिस्से में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला आ जाती है जो इसकी खूबसूरती में चार-चांद लगा देती है।

 

इतिहास

सन् 1783 और 1785 के बीच में पुर्तगाली नियंत्रण में आने से पहले दादरा और नगर हवेली मराठा शासन में थे। पुर्तगालियों ने इस जमीन पर 150 साल से ज्यादा राज किया। सन् 1954 में भारतीय राष्ट्रीय स्वयंसेवकों ने पुर्तगालियों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया। सन् 1961 में यह एक केंद्र शासित प्रदेश बना। 

भूगोल

इसकी भौगोलिक स्थिति 20 डिग्री 25’ उत्तर और 73 डिग्री 15’ पूर्व में है। यह क्षेत्र देश के पश्चिमी हिस्से में और गुजरात और महाराष्ट्र के बीच में स्थित है। यह दमन गंगा नदी के जल विभाजन में स्थित है। इसका कुल इलाका 491 वर्ग किलोमीटर का है। यहां की 40 प्रतिशत जमीन घने जंगलों से ढंकी है। यह हंसमुख और रंगीन आदिवासियों की मातृभूमि है जो अपने लोकगीतों और जीवंत जीवनशैली से समृद्ध हैं। यहां ज्यादातर रहने वाले लोग आदिवासी हैं जो कई सारे जनजातीय समूहों में बंटे हैं, जिनमें वरलाइ, कोंकण, धोडिया और डबलास शामिल हैं। यहां की ज्यादातर आबादी हिंदुओं की है। 

 

जनसांख्यिकी

सन् 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी आबादी 3,43,709 है। दशकीय जनगणना सूचना के हिसाब से इस केंद्र शासित प्रदेश ने 55.5 प्रतिशत की सबसे ज्यादा जनसंख्या वृद्धि दर दिखाई है। 

भाषाएं

दादरा और नगर हवेली की मुख्य भाषाओं में मराठी, गुजराती, भीली और भिलोड़ी हैं। 

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