61 साल की उम्र में आप कितनी देर तक तैर सकते हैं. इसका जवाब असल जिंदगी में देना बिल्कुल आसान नहीं. लेकिन पश्चिम बंगाल की बाढ़ में एक वृद्धा ने ऐसी मिसाल बनाई है कि कोई भी उसके जज्बे को सलाम करेगा. हालांकि भाग्य ने भी उसका पूरा साथ दियाइस महिला का नाम ताप्ति देवी चौधरी है. वो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं. पूर्वी बर्द्धमान जिले के कालीबाजार की रहने वाली हैं.
दामोदर नदी की बाढ़ देखने गई थी
ताप्ति दामोदर नदीं में आई बाढ़ देखने गईं थीं. इसी दौरान घाट पर उनका पैर फिसला. वह पानी में चली गई. बहाव तेज था. मदद के लिए आवाज दी तो बचाने के लिए कोई आसपास नहीं था. शाम होने के कारण अंधेरा भी हो रहा था. पहले तो उन्होंने बचने के लिए हाथ पैर मारना शुरू किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बहाव तेज था. लिहाजा नदी की धार के खिलाफ लिए तैरना आसान नहीं था.
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13 घंटे बहती रही
दीप्ति ने खुद को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया. खुद को बहने दिया. बस वह बाढ़ बह रही लकड़ियों को पकड़ने की कोशिश करती रहीं. उन्हीं के सहारे तैरती रहीं. रातभर इसी हाल में तैरती रहीं. अंदाज है कि वह करीब 13 घंटे नदी में रहीं. बीच-बीच में आवाज लगाती रहीं कि शायद कोई आवाज सुनकर बचा ले लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसी बीच वह दामोदर से जुड़ने वाली मुंडश्वरी नदी में चली गईं.
सुबह 07. 30 बजे के आसपास मछुआरों ने उसे हुगली जिले के पुरसुरा में मारकुंडा घाट के पास बहते देखा. तब उन्होंने उन्हें बचाया. तब तक वह होश में थीं. उन्हें बताया गया कि जहां से उन्हें निकाला गया है,वो मुंडश्वरी नदी है, जो पूर्वी बर्धमान से करीब 80 किलोमीटर दूर है. ये सुनकर दीप्ति को विश्वास ही नहीं हुआ. कुछ घंटों बाद अस्पताल ने उन्हें छुट्टी दे दी.
विश्वास ही नहीं हो रहा मैं बच गई
समाचार एजेंसी प्रेट्र से बातचीत में दीप्ति ने कहा उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि वह कैसे मौत के मुंह से निकलकर अब तक जिंदा हैं.
बंगाल में बाढ़ में अब तक 30 मरे
पश्चिम बंगाल में बाढ़ और दामोदर वैली कारपोरेशन द्वारा पानी छोड़े जाने से हालात बिगड़ गए हैं. मिदिनापुर, बांकुरा, पुरुलिया, हुगली और हावड़ा में बाढ ने तबाही मचा रखी है. इससे अब तक 30 लोगों के मारे जाने की खबर है. राज्य में 400 राहत शिविर बनाए गए हैं. एक लाख से ज्यादा प्रभावितों ने इसमें शरण ले रखी है. राज्य में कई नदियों का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है.