ट्रंप की योजना का मसौदा आया सामने, यूक्रेन को रूस को सौंपनी होगी जमीन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई शांति योजना में यूक्रेन को अपनी कुछ जमीन रूस को देने और नाटो में शामिल न होने की शर्त रखी गई है। मसौदे में रूस को डोनबास क्षेत्र पर पूरा नियंत्रण देने और 100 अरब डॉलर से यूक्रेन के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव शामिल है। उधर, यूरोपीय देशों का कहना है कि इस बातचीत में उन्हें और यूक्रेन को शामिल किया जाना चाहिए।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस योजना का मसौदा सामने आया है, जिसमें यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की बात कही गई है। इस मसौदे में यूक्रेन को अपनी कुछ जमीन रूस को सौंपने और अपनी सेना के आकार को सीमित करने की बात कही गई है। एसोसिएटेड प्रेस (एपी) ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

यह मसौदा अमेरिका और रूस के बीच हुई बातचीत का नतीजा बताया जा रहा है। इसमें कई शर्तें ऐसी हैं जो रूस के हितों के अनुकूल दिखाई देती हैं। रूस ने करीब चार साल पहले यूक्रेन पर हमला कर इस संघर्ष की शुरुआत की थी। जानकारों का कहना है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के लिए यह योजना स्वीकार करना स्वीकार करना बेहद मुश्किल होगा। जेलेंस्की पहले भी ट्रंप की जमीन छोड़ने वाली मांगों को खारिज करते रहे हैं।

यूरोपीय देशों ने भी इस पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ऐसा प्रस्ताव रूस की आक्रामकता को बढ़ावा देगा और पुतिन को मजबूत करेगा, न कि कमजोर। मसौदे में यूक्रेन को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने से रोकने की बात कही गई है। इतना ही नहीं, भविष्य में नाटो के विस्तार पर भी रोक का सुझाव दिया गया है। यह रूस के लिए बड़ी रणनीतिक जीत मानी जाएगी, क्योंकि रूस नाटो को अपने लिए खतरा मानता है।

रूस को डोनबास क्षेत्र पर मिलेगा पूर्ण नियंत्रण

प्रस्ताव के मुताबिक, रूस को पूर्वी यूक्रेन के पूरे डोनबास क्षेत्र पर नियंत्रण मिल जाएगा। अभी भी करीब 14 फीसदी हिस्सा यूक्रेन के पास है, लेकिन मसौदे के अनुसार वह भी रूस को मिल जाएगा। मसौदे में रूस पर लगे कई प्रतिबंध हटाने और एक समय के शक्तिशाली समूह जी-8 समूह में उसे वापस शामिल करने का रास्ता भी सुझाया गया है। अमेरिका की इस पहल से जेलेंस्की पर दबाव बढ़ा है।

मसौदे के ज्यादातर हिस्सों पर दोनों पक्षों ने जताई सहमति

सूत्रों का कहना है कि मसौदा तैयार करने की शुरुआत तब हुई, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने जेलेंस्की के करीबी सलाहकार रुस्तेम उमेरोव से बातचीत की। उमेरोव ने कुछ बदलावों के बाद मसौदे के ज्यादातर हिस्सों पर सहमति जताई और इसे राष्ट्रपति जेलेंस्की के सामने रखा।

अमेरिकी सैन्य अधिकारी कीव पहुंचे

गुरुवार को अमेरिकी सेना के सचिव डैन ड्रिस्कॉल भी कीव पहुंचे और उन्होंने जेलेंस्की के साथ मसौदे पर चर्चा की। जेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में कहा कि दोनों देश मिलकर शांति योजना के प्रावधानों पर काम करेंगे। उन्होंने मसौदे की सामग्री पर सीधी टिप्पणी नहीं की। उन्होंने लिखा, यूक्रेन और अमेरिका की टीमें युद्ध खत्म करने की योजना के प्रावधानों पर काम करेंगी। हम रचनात्मक और तेजी से आगे बढ़ने को तैयार हैं।

सौ अरब डॉलर से होगा यूक्रेन का पुनर्निर्माण

इस मसौदे में यह भी कहा गया है कि रूस भविष्य में कोई हमला न करने का वादा करेगा। इसके साथ ही रूस की करीब 100 अरब डॉलर की जब्त संपत्ति से यूक्रेन में पुनर्निर्माण कार्य कराए जाएंगे। हालांकि, रूस को जमीन सौंपने की मांग यूक्रेन के लिए कठिन है और यह देश के संविधान के खिलाफ भी है। जेलेंस्की लगातार स्पष्ट कर चुके हैं कि ऐसा कोई भी समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा।

रूस को मिलेगी जापोरिझिया परमाणु संयंत्र की आधी बिजली

योजना के मुताबिक, रूस को जापोरिझिया में यूरोप के सबसे बड़े परमाणु उर्जा संयंत्र से बनने वाली आधी बिजली का उपयोग कर सकेगा। रूस युद्ध के शुरुआत से ही इस संयंत्र पर नियंत्रण कर चुका है। वहीं, यूरोपीय देशों का कहना है कि ऐसी किसी भी योजना में उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

स्वीकार्य शर्तों पर रूस-यूक्रेन से ली गई राय: व्हाइट हाउस

सड़क से लेकर कूटनीति के गलियारों तक चर्चा है कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और विटकॉफ एक महीने से इस योजना पर चुपचाप काम कर रहे थे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने बताया कि इस प्रक्रिया में यूक्रेन और रूस दोनों से उनकी स्वीकार्य शर्तों पर राय ली गई। पुतिन के करीबी सलाहकार किरिल दिमित्रिएव और विटकॉफ की इसमें अहम भूमिका रही।

ट्रंप की योजना से यूरोप चिंतित

मसौदा सामने आने के बाद यूरोपीय देशों ने नाराजगी जताई और कहा कि उन्हें और यूक्रेन को योजना में शामिल किया जाना चाहिए था। यूरोप पहले से ही इस चिंता में है कि ट्रंप प्रशासन कहीं उसे और जेलेंस्की को बातचीत से बाहर तो नहीं कर रहा। ट्रंप का पुतिन के प्रति पहले का नरम रुख उनकी चिंता को बढ़ाता रहा है। हालांकि पिछले महीने उन्होंने रूस के तेल क्षेत्र पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे, जो शुक्रवार से लागू होंगे। यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास ने कहा, किसी भी योजना को सफल बनाने के लिए यूक्रेन और यूरोप का साथ जरूरी है। उन्होंने माना कि मसौदा रूस के प्रति ज्यादा झुका हुआ दिखता है।

जर्मनी के विदेश मंत्री ने की युद्ध खत्म करने पर चर्चा

जर्मनी के विदेश मंत्री योहान्स वाडेफुल ने बताया कि उन्होंने विटकॉफ और तुर्किये के विदेश मंत्री हाकान फिदान से फोन पर बातचीत की, जिसमें युद्ध खत्म करने की अलग-अलग कोशिशों पर चर्चा हुई।

हमारी जमीन बिकाऊ नहीं: यूएनएससी में यूक्रेन की राजदूत

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन की उप-राजदूत क्रिस्टिना हायोविशिन ने कहा कि यूक्रेन को आधिकारिक रूप से ट्रंप की शांति योजना मिली है और वह रचनात्मक बातचीत को तैयार है। लेकिन अपनी सीमाएं स्पष्ट रखते हुए उन्होंने दोहराया कि रूसी कब्जे वाली जमीन को यूक्रेन कभी स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, हमारी जमीन बिकाऊ नहीं है। यूक्रेन अपनी सेना पर किसी तरह की सीमा या अपनी संप्रभुता पर किसी समझौते को स्वीकार नहीं करेगा, और न ही अपने पसंद के गठबंधनों में शामिल होने के अधिकार को छोड़ देगा।

किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी ट्रंप प्रशासन की कोशिशें

ट्रंप पहले से ही यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की मंशा जाहिर करते रहे हैं। यह साफ नहीं है कि यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों ने यह मसौदा देखा है या नहीं। हालांकि सबसे पहले इसे एक्सिओस ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी थी। योजना के कई हिस्से पहले भी चर्चा में आ चुके हैं। ट्रंप पिछले महीने कह चुके थे कि डोनबास क्षेत्र को ‘विभाजित’ किया जाना चाहिए और इसका बड़ा हिस्सा रूस के पास रहेगा। इसके बावजूद, इस वर्ष ट्रंप प्रशासन की कूटनीतिक कोशिशें किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी हैं। अलास्का में पुतिन और ट्रंप की मुलाकात किसी समझौते के बिना खत्म हुई और बुडापेस्ट में होने वाली अगली बैठक भी रद्द हो गई।

रूस का दावा- कूपियांस्क शहर पर किया नियंत्रण

इधर, रूस के सेना प्रमुख जनरल वैलेरी गेरासिमोव ने दावा किया कि रूस ने यूक्रेन के खारकीव क्षेत्र के कूपियांस्क शहर पर पूरी तरह नियंत्रण कर लिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कुछ यूक्रेनी सैनिक अब भी शहर में मौजूद हैं। यूक्रेन की सेना ने गेरासिमोव के दावे को खारिज करते हुए कहा कि कूपियांस्क अब भी उनके नियंत्रण में है।

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