दोपहर लगभग एक बजे शुरू हुआ प्रदर्शन साढ़े तीन बजे तक चला। इसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय छात्रसंघ पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शामिल रहे। उन्होंने मुख्य रूप से दो मांगें रखीं। पहली परीक्षा नियंत्रक इस्तीफा दें। दूसरी, रिजल्ट तैयार करने वाली एजेंसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए। छात्रसंघ महामंत्री ललित शर्मा और संयुक्त सचिव दीपक बघेल ने कहा कि फर्जी मार्कशीट के बाद अब रिजल्ट में हेरफेर हो रहा है। यह छात्रों के साथ धोखा है। परीक्षा नियंत्रक ने उन्हें जांच शुरू करने की बात बताई। प्रदर्शन में एबीवीपी के मोहित सोलंकी, गौरव शर्मा, तरुण राणा, नीरज अग्रवाल, नवदीप आदि रहे।
रिजल्ट में फर्जीवाड़े की खबर अमर उजाला के बुधवार के अंक में प्रकाशित होने पर विश्वविद्यालय और रिजल्ट तैयार करने वाली एजेंसी में हड़कंप मचा हुआ है। कुलपति ने परीक्षा नियंत्रक और एजेंसी संचालक से विवरण मांगा है। परीक्षा नियंत्रक केएन सिंह का कहना है कि जिन मार्कशीट में आनलाइन फर्जीवाड़ा हुआ है, वो चिह्नित कर ली हैं। इसकी जांच वह स्वयं कर रहे हैं। दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
गुस्से से भरे छात्रों को शांत करने के लिए पुलिस ने उनके सुर में सुर मिला लिया। विवि अधिकारियों से पुलिसकर्मी बोले, ‘छात्रों का भविष्य क्यों चौपट कर रहे हो? सुधर जाओ, वरना तुम्हारे खिलाफ ही केस दर्ज कर दिया जाएगा।’ विवि अधिकारी चुप सुनते रहे। परीक्षा नियंत्रक केएन सिंह का भी धैर्य जवाब दे गया। बोले, यहां कोई अधिकारी सहयोग नहीं करता। कर्मचारियों से लेकर एजेंसी तक उनकी नहीं सुनते। हालत यह है कि रात में भी सोते वक्त कानों में मार्कशीट…मार्कशीट सुनाई देता है। दिन-रात का चैन छिन गया है।
फीरोजाबाद में 16 अप्रैल को बीकॉम सेकेंड ईयर का इनकम टेक्स का पेपर आउट हुआ था। विवि की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। पता चला है कि दोपहर तीन बजे शुरू हुई परीक्षा का प्रश्नपत्र इससे 27 मिनट पहले ही व्हाट्सएप पर चल रहा था। जांच कमेटी ने ये रिपोर्ट दे दी है। पेपर कैसे आउट हुआ और इसमें कौन-कौन शामिल रहे, इसका पता कमेटी नहीं लगा पाई। ऐसे में अब विश्वविद्यालय एफआईआर कराने की तैयारी में है। परीक्षा नियंत्रक केएन सिंह ने बताया कि कक्ष में परीक्षार्थियों को पेपर देने के लिए पांच-दस मिनट पहले सील खोल दी जाती है। लेकिन सोशल मीडिया के जरिये ये बाहर गया, ये चूक है। इसके लिए एफआईआर कराई जाएगी।
बिटिया… जल्दी से पराठे लगा दे, नहीं तो देर हो जाएगी। थैले में पानी की बोतल रखी और आगरा के लिए बस से निकल पड़ी। सुरेंद्र नगर, अलीगढ़ निवासी 58 वर्षीय गिरिजेश देवी बीते दो साल से ऐसा करने को मजबूर हैं। उनकी बेटी कल्पना की तीन साल से एमए की मार्कशीट नहीं मिली है। पहली साल तो बेटी ने ‘हिम्मत’ दिखाई। अब मां ने बीड़ा उठाया। उनकी इस तकलीफ का कारण बना है, डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन। बुधवार को एक बार फिर वो मार्कशीट लेने पहुंचीं तो प्रदर्शन देख कोने में खड़ी हो गईं। पुलिस, अधिकारी को देखा तो उनके हाथ जोड़ते हुए गिड़गिड़ाने लगीं। बोली, ‘साहब…तीन साल से मां-बेटी ने 65-70 चक्कर लगा दिए। बेटी ट्यूशन पढ़ाकर दो-तीन हजार रुपये कमाती है, ये भी न चले जाएं, सो अब मैं आ रही हूं। कम से कम मेरी उम्र पर तो तरस खाओ और मार्कशीट….।’ इतना कहते ही गिरिजेश देवी फफक पड़ी। उनके आंसुओं को देख एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने उन्हें कुर्सी पर बैठाया। अलीगढ़ की बबीता ने बीएससी 2014 में कंप्लीट की थी। इनकी दूसरी साल की मार्कशीट में अंकों का योग गलत है। दो बार मार्कशीट जारी हो चुकी है, दोनों बार गलत है। इससे फाइनल की मार्कशीट भी रुकी हुई है।