सिद्धियां प्रदान करती हैं मां सिद्धिदात्री

नवरात्र के आखिरी यानी नौवें दिन (day 9 navratri) मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना का विधान है। मां सिद्धिदात्री के स्वरूप की बात करें, तो माता कमल पर विराजमान हैं और चार भुजाओं वाली हैं। इस स्वरूप में देवी ने अपने एक हाथ में शंख, दूसरे में गदा, तीसरे में कमल और चौथे हाथ में च्रक धारण किया हुआ है। मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के समान सिंह की सवारी करती हैं।

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें। इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद मां सिद्धिदात्री की तस्वीर स्थापित करें। पूजा में देवी के इस स्वरूप को रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई नारियल और चुनरी आदि अर्पित करें।

भोग के रूप में देवी को लवा, पूड़ी और चना अर्पित करें। इसके बाद दीपक जलाकर माता की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें। इस दिन पर 9 कन्याओं का पूजन कर अपने व्रत का पारण करें और हवन का भी आयोजन करें।

मां सिद्धिदात्री की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब सभी देवता महिषासुर के अत्याचारों से परेशान हो गए, तब ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपने तेज से मां सिद्धिदात्री को उत्पन्न किया। ऐसी मान्यता यह भी है कि भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठिन साधना की, जिससे उन्हें देवी से अणिमा, महिमा, गरिमा जैसी आठ सिद्धियां प्राप्त हुईं। इसके बाद भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए।

मां सिद्धिदात्री के मंत्र

  1. बीज मंत्र –

‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः’.

  1. स्तुति मंत्र –

‘या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।’.

  1. पूजन मंत्र –

‘ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः’

  1. अन्य मंत्र –

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

ॐ ह्रींग डुंग दुर्गायै नमः

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com