रूसी राष्ट्रपति पुतिन इस साल के अंत में भारत दौरे पर आ सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच व्यापार सैन्य तकनीकी सहयोग और अन्य क्षेत्रों पर बातचीत चल रही है। लावरोव ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की जमकर की तारीफ की।
इस साल के अंत में रूस के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर आ सकते हैं। दोनों देशों के बीच रूसी राष्ट्रपति के दौरे को लेकर प्लानिंग जारी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की 80वीं सत्र के दौरान रूस के विदेश मंत्री ने भी इस बात की पुष्टि की है।
दरअसल, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने यूएनजीए के 80वें सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि दिसंबर में व्लोदिमीर पुतिन भारत की यात्रा करेंगे। दिल्ली के साथ इस यात्रा के संबंध में बात चल रही है।
भारत और रूस के संबंधों पर क्या बोले व्लोदिमीर पुतिन?
वहीं, इस सत्र को संबोधित करते हुए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत और रूस के संबंधों पर भी बात की। इस दौरान उन्होंने कगा कि इस साल दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन की नई दिल्ली की योजना बनाई जा रही है। हमारे पास एक बहुत ही व्यापक द्विपक्षी एजेंडा, जिसमें व्यापार, सैन्य, तकनीकी सहयोग, एआई, वित्त, मनवीय मामले, स्वास्थ्य सेवा शामिल है।
उन्होंने इस सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल मेरे सहयोगी, जिनसे मैंने कल बात की थी। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस का दौरा करेंगे। वहीं, मैं भारत का दौरा करूंगा। हमारे बीच नियमित आदान-प्रदान होता रहता है।
एस जयशकंर की जमकर तारीफ
वहीं, इस सत्र के दौरान अपने संबोधन में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की जमकर तारीफ की। रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में भी तुर्किए जैसा ही आत्मसम्मान है। सार्वजिन रूस से मेरे मित्र ने कहा था कि अगर अमेरिका हमें अपना तेल बेचना चाहता है, तो हम इसके लिए शर्तें तय करने को तैयार हैं। अगर हम अमेरिका की बजाय किसी और देश से तेल खरीदते हैं, तो यह हमारा मामला है।
रूसी तेल के आयात से जु़ड़े सवाल पर सर्गेई लावरोव ने क्या कहा?
गौरतलब है कि रूसी तेल आयात करने पर अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए द्वितीय प्रतिबंधों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी किसी भी खतरे में नहीं है। भारतीय पीएम और विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया है कि भारत अपने साझेदार स्वयं चुनता है।