एम्स हॉस्पिटल में ब्रेस्ट कैंसर का नई तकनीकी से इलाज किया जा रहा है। इस तकनीकी में ब्रेस्ट कैंसर होने पर महिलाओं का स्तन हटाने की जरूरत नहीं पड़ रही है, बल्कि जिस हिस्से में बीमारी डिटेक्ट होती है उसी का इलाज किया जाता है। एम्स के चिकित्सकों का कहना है कि बीमारी की आधुनिक इलाज में बारे में जागरूकता की कमी है।
भोपाल के एम्स हॉस्पिटल में ब्रेस्ट कैंसर का नई तकनीकी से इलाज किया जा रहा है। इस तकनीकी में ब्रेस्ट कैंसर होने पर महिलाओं का स्तन हटाने की जरूरत नहीं पड़ रही है, बल्कि जिस हिस्से में बीमारी डिटेक्ट होती है उसी का इलाज किया जाता है। एम्स के चिकित्सकों का कहना है कि बीमारी की आधुनिक इलाज में बारे में जागरूकता की कमी है। अक्सर महिलाएं स्तन में गांठ महसूस होने पर भय और गलतफहमी के कारण समय पर चिकित्सकीय मदद लेने से हिचकिचाती हैं।
इन तकनीकों का किया जा रहा है उपयोग
एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि एक समय था जब स्तन कैंसर का मतलब पूरे स्तन को हटाना होता था। लेकिन अब समय बदल गया है। आज इसका इलाज बहु-आयामी पद्धति से किया जाता है। जिसमें कीमोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी, सर्जरी, इम्यूनोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का संयोजन होता है। कई मामलों में केवल ट्यूमर को हटाकर और उन्नत ऑन्कोप्लास्टिक सर्जरी से पुनर्निर्माण करके स्तन को सुरक्षित रखा जा सकता है। एम्स के कैंसर सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. विनय कुमार ने बताया कि यह अत्याधुनिक तकनीक एम्स भोपाल में की जा रही है और इसके उक्तृष्ट परिणाम मिल रहे हैं।
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