नेपाल में राजशाही समर्थक राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और कारोबारी दुर्गा प्रसाई को आगे किया जाना अंतरिम सरकार के लिए जारी बातचीत में गतिरोध का प्रमुख कारण रहा। दरअसल, सेना ने प्रदर्शन के दौरान जेल से छुड़ाए गए रवि लमिछाने की पार्टी और चिकित्सा उद्यमी प्रसाई को बातचीत की प्रक्रिया में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था। इस पर जेन-जी ने आपत्ति जताई। यही नहीं, अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए सुशीला कार्की के नाम को लेकर भी जेन-जी के प्रतिनिधि दो-फाड़ हो गए हैं।
भद्रकाली स्थित मुख्यालय में अंतरिम नेतृत्व को लेकर जब नेपाल में प्रदर्शन करने वाले जेन-जी के प्रतिनिधियों और सेना के बीच बातचीत चल रही थी, तभी सेना की ओर से इसमें राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और प्रसाई को शामिल करने का प्रस्ताव रखा। इससे नाराज जेन-जी के 15 प्रतिनिधियों में शामिल रक्ष्य बाम सहित कई युवा भड़क गए और बातचीत से किनारा कर लिया। बाम ने कहा, सेना प्रमुख ने हमें राष्ट्रपति से मिलने के लिए बुलाया था। इस दौरान हमसे दुर्गा प्रसाई और आरएसपी के साथ बातचीत करने के लिए कहा गया। इस बीच, नेपाल के सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल की दुर्गा प्रसाई के साथ बैठक को लेकर आंदोलनकारियों में गुस्सा भड़क उठा। प्रसाई को विघटनकारी करार देते हुए उनकी भूमिका पर संदेह जताया जा रहा है।
दरअसल, प्रसाई कई विवादों में घिरे रहे हैं और उन्हें भी राजशाही समर्थक माना जाता है। हालांकि, दुर्गा प्रसाई की तरफ से सफाई दी गई है कि उनका सरकार में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है। बहरहाल, सेना मुख्यालय के बाहर बृहस्पतिवार को जेन-जी के दो गुटों में झड़प से मामला और उलझ गया। बताया जा रहा है कि एक पक्ष सुशीला कार्की के नाम का विरोध कर रहा था, जबकि काठमांडो के मेयर बालेंद्र शाह के समर्थक कुछ आंदोलनकारी उनके नाम को ही आगे रखने के पक्ष में थे। जेन-जी प्रतिनिधियों के दो-फाड़ होने से बातचीत की प्रक्रिया बाधित हो गई है।