प्रदेश के सबसे बड़े वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन निगरानी की सुविधाओं की कमी बड़ी चुनौती बनी हुई है। यहां 24 से अधिक बाघ मौजूद हैं, मगर इनमें से केवल दो बाघों के गले में कॉलर आईडी लगी है। बाकी बाघों की लोकेशन पदचिह्नों के आधार पर ही ट्रैक की जाती है।
हाथियों की कमी बनी बड़ी चुनौती
रिजर्व क्षेत्र में बाघों की निगरानी हाथियों की मदद से की जाती है, लेकिन वर्तमान में मात्र दो हाथी ही उपलब्ध हैं। अधिकारियों के अनुसार, इतने बड़े क्षेत्रफल वाले रिजर्व में कम से कम 15 से 16 हाथियों की जरूरत है। हाथियों की कमी के कारण बाघों की लोकेशन ट्रेस करने और शावकों की निगरानी में बड़ी दिक्कतें आती हैं।
विस्तार तो हो रहा, पर सुविधाएं नहीं
यह टाइगर रिजर्व तीन जिलों में फैला हुआ है और क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा रिजर्व है। यहां लगातार गांवों का विस्थापन हो रहा है और जंगली जानवरों की संख्या भी बढ़ रही है, लेकिन निगरानी के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जा रहे।
अधिकारी बोले— लगातार कर रहे मांग
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अब्दुल अंसारी ने बताया कि पूरे रिजर्व क्षेत्र में सिर्फ दो हाथी हैं। जबकि बाघों ने अलग-अलग इलाकों में अपना ठिकाना बना लिया है। उन्होंने कहा कि हाथियों की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।