यूपी की सेहत और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बूस्टर डोज देंगी जीएसटी की घटी दरें

जीएसटी के दो स्लैब होने से सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार वाले यूपी को कारोबार की बूस्टर डोज मिल गई है। सीमेंट में 10 फीसदी जीएसटी घटने से बिना बजट बढ़ाए ही अवस्थापना व विकास के मद में ज्यादा रकम आ गई। स्वास्थ्य सहित हर तरह के बीमा में शून्य जीएसटी से यूपी में फार्मा व स्वास्थ्य सेवा से जुड़े सेक्टरों में 20 फीसदी तक तेजी के आसार हैं। साथ ही बीमा कंपनियों को राज्य से 50 लाख पॉलिसी मार्च तक ज्यादा मिलने की उम्मीद है।

यूपी को स्वास्थ्य बीमा में जीएसटी 18 से घटकर शून्य फीसदी होने का फायदा सबसे ज्यादा मिलेगा। अस्पतालों में बीमित इलाज का दायरा बढ़ेगा और स्वास्थ्य बीमा के दायरे में 90 लाख और लोगों के आने का अनुमान है। साथ ही स्वास्थ्य सेवा से जुड़े 27 क्षेत्रों में भी 10 से 15 फीसदी तक ग्रोथ आने की उम्मीद है। ललितपुर में प्रस्तावित फार्मा पार्क की रफ्तार भी तेज होगी।

जीएसटी घटने से सीमेंट के दामों में 8 फीसदी तक कमी आने का अनुमान है। इसका निम्न व मध्य वर्ग को सीधा फायदा मिलेगा। वित्तीय संस्थाओं और बैंकों का मानना है कि शुरू में केंद्र और राज्यों को करीब 48000 करोड़ का राजस्व नुकसान होगा। खासकर उद्योग व निर्माण वाले राज्यों पर प्रभाव ज्यादा हो सकता है, लेकिन यूपी जैसे राज्य में यह प्रभाव सीमित रहेगा। शुरुआत में यूपी को 3500 करोड़ रुपये की राजस्व हानि की आशंका है पर दीर्घकाल में 30 हजार करोड़ राजस्व वृद्धि का अनुमान है।

प्रदेश में जीएसटी राजस्व की स्थिति

जुलाई में जीएसटी संग्रह 9760 करोड़ (जुलाई 2024 में 9125 करोड़ रुपये था)। 7% वृद्धि।
अगस्त में जीएसटी कलेक्शन 9086 करोड़ (अगस्त 2024 में 8269 करोड़ रुपये था)। 10% वृद्धि।
वित्त वर्ष 24-25 में सबसे ज्यादा संग्रहकर्ता राज्यों में यूपी छठे स्थान पर रहा। कुल 1.12 लाख करोड़ रुपये मिले।
यूपी राष्ट्रीय जीएसटी में 7 से 9% योगदान देता है। 3000-4000 करोड़ रुपये अल्पकालिक प्रभाव संभव है, लेकिन मांग में उछाल और बेहतर अनुपालन से यह गैप घटने का अनुमान है।
बढ़ेगी वाहन खरीद, सस्ती हो सकती हैं कारें

वाहनों की खरीद के मामले में यूपी देश के शीर्ष तीन राज्यों में है। वाहन खरीदने की वृद्धि दर के मामले में यूपी पहले स्थान पर है। ऑटो इंडस्ट्री के मुताबिक 10 फीसदी जीएसटी से दोपहिया वाहनों की कीमतों में 10 हजार से 20 हजार रुपये तक की कमी आ सकती है। कारों के दाम 50 हजार रुपये तक सस्ते हो सकते हैं। दिवाली के दौरान ही यूपी में 40 हजार वाहनों की खरीद ज्यादा हो सकती है।

जेके सीमेंट के संयुक्त एमडी व सीईओ माधव सिंघानिया का कहना है कि सीमेंट लग्जरी नहीं, बल्कि आम जिंदगी और बुनियादी विकास से जुड़ा उत्पाद है। लंबे समय से इंडस्ट्री इस पर जीएसटी 28 से घटाकर 18 फीसदी करने की मांग कर रही थी। टैक्स घटने से रेट घटेंगे और विकास का दायरा बढ़ेगा। आम लोगों के घर बनाने की लागत में कमी आएगी।

सीआईआई यूपी की अध्यक्ष व यशोदा सुपर स्पेशियलिटी की एमडी डॉ. उपासना अरोड़ा का कहना है कि जीएसटी दरों में संशोधन से मांग में वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली में जबर्दस्त प्रभाव पड़ेगा। स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम से जीएसटी हटाने से चिकित्सा सुरक्षा के दायरे में अधिक लोगों को शामिल करने में मदद मिलेगी। यूपी जैसा राज्य इस फैसले से सबसे ज्यादा लाभान्वित होगा।

सीआईआई यूपी के उपाध्यक्ष एवं अवध रेल इंफ्रा लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अभिषेक सर्राफ का कहना है कि यूपी में उद्योग की विनिर्माण क्षमता का विस्तार होगा। सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार होने के नाते यूपी में एमएसएमई को सीधा फायदा होगा। इससे राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ेगा। स्लैब घटने से सरकार का राजस्व बढ़ेगा क्योंकि टैक्स देने वालों की संख्या में इजाफा होगा।

सीआईआई एमएसएमई पैनल व सीईओ एएमए हर्बल के संयोजक यावर अली शाह का कहना है कि यह फैसला ऐसे समय आया है, जब अंतरराष्ट्रीय टैरिफ से निर्यातक परेशान हैं। आम आदमी की आय ज्यादा बचेगी। इस बची हुई आय को वह दूसरी जगह निवेश कर सकता है। इसका लाभ उपभोक्ता उत्पादों को भी होगा। हम सरकार के इस कदम की सराहना करते हैं।
2500 रुपए से अधिक के रेडीमेड कपड़ों पर जीएसटी बढ़ने व्यापारी दुखी
उतर प्रदेश कपड़ा उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष अशोक मोतियानी ने कहा है कि जीएसटी दरें कम होने का हम स्वागत करते हैं। व्यापारियों में इसे लेकर खुशी है। मगर खुदरा कपड़ा उद्योग दुखी हैं। जीएसटी सुधार को लेकर रेडीमेड कपड़ों पर जीएसटी की दरें बढ़ा दी गई है जिससे देश भर के कपड़ा व्यापारियों में आक्रोश व्याप्त हो रहा है।

कपड़ा रोज़मर्रा के पहनने की जरूरत की वस्तु है कई दशक से कपड़े पर कोई टैक्स नहीं था लेकिन भारत में जीएसटी लागू होते ही कपड़ों पर जीएसटी दरें 5 प्रतिशत लागू की गई। आश्वासन दिए गए की कपड़ों पर रेट कभी नहीं बढ़ाए जाएंगे। जीएसटी दरें लागू होते ही कपड़ों से तैयार रेडीमेड पर 12 प्रतिशत जीएसटी दरें लागू की गई जबकि शुरुआत में रेडीमेड कपड़ों पर वैट 5 प्रतिशत प्रतिशत ही था अब इसे 18 प्रतिशत के दायरे में लाया जा रहा है जो कि बिल्कुल ही अनुचित है।

जीएसटी में सुधार करने की घोषणा के साथ ये कहा गया था कि 12 प्रतिशत दरों में लगभग 99 प्रतिशत वस्तुओं पर जीएसटी 5 प्रतिशत लागू किया जाएगा जबकि रेडीमेड कपड़ों में 2500 रुपए की खरीद को लग्जरी में रखते हुए इसे 18 प्रतिशत जीएसटी में सुधार के नाम पर बढ़ा दिया जाता है इससे देश भर के कपड़ा व्यापारी आहत हुए हैं। उन्होंने कहा कि कपड़ा व्यापारियों की तरफ से गुजारिश है कि इस पर पुनः विचार कर 5 प्रतिशत में लागू कर व्यापारियों की नाराजगी दूर करें।

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