प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाले सबसे कॉमन कैंसर में से एक है। यह कैंसर प्रोस्टेट ग्लैंड में ट्यूमर बनने की वजह से होता है, जिसका पता न चले, तो यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। इसलिए इसका जल्दी पता लगाना काफी जरूरी है
हालांकि, शुरुआती स्टेज में इसका पता लगाना काफी मुश्किल होता है । आइए जानें कि ऐसा क्यों होता है और इसका पता कैसे लगा सकते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाना मुश्किल क्यों होता है?
शुरुआती स्टेज में लक्षण न दिखना– प्रोस्टेट कैंसर की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शुरुआती स्टेज में अक्सर कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कैंसर जब तक प्रोस्टेट ग्लैंड के अंदर या उसके आस-पास तक सीमित रहता है, तब तक यह शरीर में कोई खास परेशानी पैदा नहीं करता। इस स्टेज में इसका पता सिर्फ टेस्ट के जरिए ही चल पाता है।
धीमी गति से बढ़ना- प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर बहुत धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है। यह इतना धीरे-धीरे विकसित होता है कि सालों तक शरीर में कोई खास लक्षण पैदा नहीं करता, जिससे व्यक्ति को लंबे समय तक इसके होने का पता ही नहीं चल पाता।
झिझक– कई पुरुषों में प्रोस्टेट या मूत्र संबंधी समस्याओं के बारे में बात करने में झिझक होती है। वे लक्षणों को बुढ़ापे की सामान्य निशानी मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे डॉक्टर के पास जाने और जांच करवाने में देरी होती है।
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