पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने राष्ट्रीय और प्रांतीय उपचुनावों के बहिष्कार का एलान किया है। यह फैसला इमरान खान की जेल से आई राय पर आधारित है। पार्टी का मानना है कि उपचुनाव लड़ना सरकार की गैरकानूनी कार्रवाई को वैध ठहराना होगा।
पाकिस्तान में उपचुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री और जेल में बंद इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभा के होने वाले उपचुनावों में हिस्सा न लेने का फैसला किया है। यह फैसला पार्टी ने इमरान खान की राय के आधार पर लिया। गौरतलब है कि मई 2023 दंगों में शामिल नेताओं की सजा के बाद कई सीटें खाली हुई थीं।
पार्टी की राजनीतिक समिति की बैठक में यह मुद्दा सामने रखा गया। इमरान खान ने मंगलवार को अदियाला जेल में अपनी कानूनी टीम से मुलाकात के बाद यह संदेश भेजा। बाद में उनकी बहन अलीमा खान ने मीडिया को यह राय बताई। शुरू में समिति ने वोटिंग के जरिए चुनाव में हिस्सा लेने का रुख अपनाया था, लेकिन रात में हुए घटनाक्रम में इमरान की राय को मानते हुए फैसला पलट दिया गया।
अहम नेताओं की प्रतिक्रियाएं
पीटीआई सांसद आमिर डोगर ने पुष्टि की कि राजनीतिक समिति ने इमरान की राय को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के सांसद जल्द ही संसदीय समितियों से भी इस्तीफा देंगे। पूर्व नेशनल असेंबली अध्यक्ष असद कैसर ने भी साफ कहा कि खान का मानना है कि संसद महज रबर स्टांप बन चुकी है और विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उपचुनावों में हिस्सा लेना मौजूदा सरकार की ‘गैरकानूनी कार्रवाई’ को वैध ठहराना होगा।
अंदरूनी मतभेद और आलोचना
इस फैसले के बीच पार्टी के अंदर असहमति भी दिखी। समिति की पहले की बैठक में 12 से नौ वोट से चुनाव लड़ने का समर्थन हुआ था। यहां तक कि सूचना सचिव शेख वक्कास अख्तर ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि उम्मीदवारों को सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) से टिकट दिए जाएंगे ताकि उन्हें स्वतंत्र घोषित न किया जाए। राजनीतिक विश्लेषक अहमद बिलाल महबूब ने इसे “वन मैन शो” करार दिया और कहा कि पार्टी का फैसला लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करता है।
सरकार और अन्य दलों की रणनीति
इस बीच पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने मिलकर उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पाकिस्तान चुनाव आयोग ने कार्यक्रम घोषित कर दिया है। 18 सितंबर को वज़ीराबाद, लाहौर और मियांवाली की सीटों पर उपचुनाव होंगे। इसके बाद पांच अक्टूबर को फैसलाबाद, डीजी खान और साहीवाल समेत कई सीटों पर मतदान होगा। इस प्रकार विपक्षी पीटीआई का बहिष्कार सत्ता पक्ष के लिए बड़ा अवसर बन सकता है।
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