दिव्यांग हुए सैन्य कैडेट के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

 सर्वोच्च न्यायालय ने सैन्य संस्थानों में प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हुए ऑफिसर कैडेटों के सामने आ रही कठिनाइयों का स्वत: संज्ञान लिया है। दिव्यांग कैडेटों को चिकित्सा आधार पर सैन्य संस्थानों से मुक्त कर दिया जाता है।

इन्हें दिव्यांगता की सीमा के आधार पर अधिकतम 40 हजार रुपये अनुग्रह भुगतान मिलता है, जो इलाज के खर्चे को पूरा नहीं कर पाता। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और आर महादेवन की पीठ सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।

अदालत ने लिया था स्वत: संज्ञान

मीडिया रिपोर्ट के आधार पर 12 अगस्त को अदालत ने इसका संज्ञान लिया था, जिसमें इन कैडेटों के मुद्दे को उठाया गया था। ये कैडेट कभी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) जैसे देश के शीर्ष सैन्य संस्थानों में प्रशिक्षण का हिस्सा थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1985 से अब तक 500 ऐसे ऑफिसर कैडेट हैं, जिन्हें चिकित्सीय आधार पर सैन्य संस्थानों से मुक्त किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2021 से जुलाई 2025 के बीच 20 ऐसे कैडेट रहे, जिन्हें चिकित्सीय आधार पर सेवामुक्त किया गया। मीडिया रिपोर्ट में इन कैडेटों की दुर्दशा के बारे में बताया गया है।

नियमों के अनुसार वे पूर्व सैनिक (ईएसएम) का दर्जा पाने के हकदार नहीं हैं, जिससे वे पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के तहत सैन्य सुविधाओं और सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए पात्र हो पाते। ऐसा इसलिए क्योंकि वे अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त करने से पहले प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हो चुके थे।

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