राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या विधानसभा चुनाव मिली करारी हार के बाद शिवसेना उद्धव गुट और मनसे एक-दूसरे पर भरोसा करने को मजबूर हो गई है। पिछले साल 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीटें जीतीं, जबकि मनसे को एक भी सीट नहीं मिली थी।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और मनसे महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए निश्चित तौर पर गठबंधन करेंगे। हालांकि, इस पर अंतिम फैसला चुनाव के करीब आने पर हो सकता है। दोनों ही दलों के नेताओं का ऐसा मानना है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे इस संभावित गठबंधन के बारे में ज्यादा मुखर रहे हैं, जबकि उनके चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे इस बारे में ज्यादा कुछ कहने से बचते नजर आए हैं।
इस बीच शुक्रवार को शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी मुंबई, ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, नासिक और छत्रपति संभाजीनगर में होने वाले नगर निगम चुनावों के लिए मनसे के साथ गठबंधन करेगी। हालांकि, मनसे की ओर से अभी तक इस बारे में कोई बयान नहीं आया।
मनसे के एक पदाधिकारी ने बताया, ‘5 जुलाई की रैली के बाद हम उस मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां जनता के भारी दबाव के कारण शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन न करना एक मुश्किल काम होगा। अब राज साहब इस पर अंतिम फैसला लेंगे।’ इसी तरह शिवसेना (यूबीटी) के एक नेता ने दावा किया कि गठबंधन होगा, लेकिन इसकी घोषणा चुनाव नजदीक आने पर ही की जाएगी। इससे भाजपा के दबाव की रणनीति को भी रोका जा सकेगा। कहा यह भी जा रहा है कि इतनी जल्दी गठबंधन की घोषणा का मतलब सीट बंटवारे पर बातचीत का अतिरिक्त दबाव होगा। शिवसेना (यूबीटी) और मनसे नेताओं ने दावा किया कि इससे दोनों पक्षों के पार्टी कार्यकर्ता परेशान होंगे, जो अपने-अपने वार्डों से पार्टी टिकट पाने की होड़ में हैं।
यहां से हुई शुरुआत
शुरुआत में शिवसेना (यूबीटी) और मनसे सोमवार को एक अज्ञात बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) क्रेडिट सोसाइटी के चुनावों के लिए एक साथ आ रहे हैं। दोनों दलों ने क्रेडिट सोसाइटी का चुनाव लड़ने के लिए ‘उत्कर्ष पैनल’ का गठन किया है। सेना (यूबीटी) नियंत्रित बेस्ट कामगार सेना के प्रमुख सुहास सामंत ने बताया कि इस पैनल में 21 सदस्य हैं, जिनमें से 18 शिवसेना (यूबीटी), दो मनसे और एक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के एक संगठन से है। क्रेडिट सोसाइटी का नियंत्रण शिवसेना (यूबीटी) के पास है, जिसके सदस्य बेस्ट उपक्रम, नागरिक परिवहन और बिजली प्रदाता सार्वजनिक निकाय के कर्मचारी हैं।
एक साथ राजनीतिक मंच पर नजर आए थे उद्धव-राज
पिछले महीने ठाकरे परिवार के चचेरे भाई दो दशकों बाद एक कार्यक्रम में एक साथ राजनीतिक मंच पर नजर आए थे। राज्य सरकार की ओर से कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूले पर दो विवादास्पद सरकारी प्रस्तावों को वापस लेने के बाद यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
विधानसभा चुनाव की करारी हार की नतीजा?
राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या दोनों पक्ष अपने पिछले अनुभवों के कारण एक-दूसरे पर भरोसा करने लगे हैं। पिछले साल 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के चुनावों में दोनों दलों को करारी हार का सामना करना पड़ा था। शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीटें जीतीं, जबकि मनसे को एक भी सीट नहीं मिली। 2006 में अपनी स्थापना के बाद पहली बार ऐसे नतीजे आए। मनसे अध्यक्ष के बेटे अमित ठाकरे भी मुंबई के माहिम से अपना पहला चुनाव हार गए, जहां पार्टी का काफी प्रभाव रहा है।
उद्धव गुट और मनसे नेताओं के बयानों ने बढ़ाई हलचल
शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा, ‘एक साथ आना समय की मांग है। 5 जुलाई की रैली के बाद हमने भावनाओं का जबरदस्त उभार देखा। हमें इसका लाभ उठाकर अपनी भलाई के लिए काम करना होगा और ज्यादा से ज्यादा नगर निकायों में जीत हासिल करनी होगी। इससे कार्यकर्ताओं में नई जान आएगी और विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद हमें मजबूती मिलेगी।’
मनसे नेता ने जोर देकर कहा, ‘हमारे बीच विश्वास की समस्या हो सकती है, लेकिन हम वेंटिलेटर पर हैं और हमें इससे बाहर आना होगा। वे (शिवसेना-यूबीटी) गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में हैं। एक साथ आना समय की मांग है। अगर कोई कहता है कि यह व्यवस्था विधानसभा चुनावों तक जारी रहेगी, तो यह अनिश्चित लगता है। हम स्पष्ट रूप से पहले नगर निगम चुनावों पर ध्यान दे रहे हैं।’
महायुति की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा: म्हास्के
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना सांसद नरेश म्हास्के ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच गठबंधन से आगामी निकाय चुनावों में महायुति की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसमें सत्तारूढ़ गठबंधन ही विजयी होगा।
म्हास्के ने कहा कि जब महायुति चुनावी लड़ाई के लिए तैयार होती है, तो वह पूरी तरह तैयार होती है। पहले शिवसेना (यूबीटी) समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (सपा) के साथ गठबंधन में थी, लेकिन फिर भी महायुति पिछले साल लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में विजयी रही। राज्य विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी महा विकास अघाड़ी का हिस्सा नहीं थी।
उन्होंने कहा, ‘वे (सेना, यूबीटी और मनसे) एक साथ आकर गठबंधन बना सकते हैं। हमने लोकसभा और विधानसभा में हांडी तोड़ी (सफलता पाई) और हम नगर निकाय चुनावों में भी ऐसा ही करेंगे।’