तीन दिवसीय शिल्प ग्राम महोत्सव के समापन पर राज्यपाल बोले- जनजातीय कला हमारी अनमोल धरोहर

भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय शिल्प ग्राम महोत्सव के समापन समारोह में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने जनजातीय कला, शिल्प को लोक संस्कृति की अनमोल धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि यह हमारी लोक संस्कृति की अनमोल धरोहर है, जिसे संरक्षित करना और प्रोत्साहित करना समाज का दायित्व है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने शिल्प ग्राम महोत्सव के समापन समारोह में जनजातीय समुदाय की कला और संस्कृति के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय ने सदियों से खान-पान, लोक कलाएं, शिल्प, वस्त्र, आभूषण, उपकरण और चिकित्सा पद्धतियों के रूप में हमारी अनमोल धरोहर को संरक्षित किया है। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने जनजातीय समुदाय के विकास और खुशहाली के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं। उन्होंने ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ के तहत जनजातीय आबादी के लिए समान अवसरों के सृजन, सामाजिक-आर्थिक स्तर को उठाने, स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे में सुधार और आजीविका के कार्यों की सराहना की।

राज्यपाल ने सिकल सेल बीमारी के उन्मूलन के लिए भी सरकार की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जनजाति समुदाय की आनुवंशिक बीमारी सिकल सेल को वर्ष 2047 तक समाप्त करने का संकल्प लिया है। उन्होंने समुदाय से आग्रह किया कि वे इस दिशा में सक्रिय रूप से योगदान दें। राज्यपाल ने जनजातीय समुदाय के गौरव रानी दुर्गावती और बिरसा मुंडा का उल्लेख करते हुए कहा कि समुदाय को उनके गौरव से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने के प्रयास करने होंगे। उन्होंने शिक्षा को प्रगति की पहली सीढ़ी बताते हुए संतान को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाने की अपील की।

जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश ने जनजातीय कला-शिल्प, संस्कृति-सभ्यता, रीति-रिवाज और मान्यताओं-परंपराओं के संरक्षण और भावी पीढ़ी में हस्तांतरण की सार्थक पहल की है। शीघ्र ही हरसूद में 100 सीटर बालिका-बालक प्रशिक्षण केंद्र प्रारंभ किया जाएगा, जिसमें जनजातीय समुदाय के शिल्पकारों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। आयुक्त जनजातीय कार्य श्रीमन शुक्ला ने महोत्सव की जानकारी देते हुए बताया कि परंपरा को डिजाइन का साथ मिलता है तो वह आजीविका और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन जाता है। महोत्सव के दौरान विशेषज्ञों द्वारा जनजातीय कलाकारों को तकनीकी ज्ञान देने के साथ ही जनजातीय शिल्प, कौशल व्यंजन परंपरा की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था।

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