2010 में मोहाली निवासी बृजेंदर सिंह लुंबा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मालवा क्षेत्र के भू-जल में यूरेनियम होने और इससे बढ़ते कैंसर के मामलों का मुद्दा उठाया था।हाईकोर्ट के आदेश पर भाभा एटाॅमिक रिसर्च सेंटर ने बठिंडा, फिरोजपुर, फरीदकोट एवं मानसा में पानी के 1500 नमूने लिए थे।
मालवा क्षेत्र के पानी में यूरेनियम होने व उससे फैलने वाले कैंसर के खिलाफ जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई के दौरान पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्रीय भू जल बोर्ड को नोटिस जारी कर पक्ष बनाया है।
साथ ही इस मामले में हरियाणा व चंडीगढ़ को भी भू-जल के सैंपलों की जांच का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि पूरे पंजाब से 4406 सैंपल लिए गए थे, इनमें से 108 में यूरेनियम की मात्रा तय मानकों से अधिक पाई गई है।
मोहाली निवासी ने दायर की थी याचिका
2010 में मोहाली निवासी बृजेंदर सिंह लुंबा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मालवा क्षेत्र के भू-जल में यूरेनियम होने और इससे बढ़ते कैंसर के मामलों का मुद्दा उठाया था। हाईकोर्ट के आदेश पर मालवा क्षेत्र के पानी में यूरेनियम की जांच के लिए भाभा एटाॅमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) ने बठिंडा, फिरोजपुर, फरीदकोट एवं मानसा में 1500 पानी के नमूने लिए थे।
इन नमूनों में से 35 प्रतिशत नमूनों में यूरेनियम तय मानकों से अधिक पाया गया, जिसमें बठिंडा जिला सबसे अधिक प्रभावित पाया गया है। एटाॅमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के अनुसार पीने के पानी में यूरेनियम की मात्रा 60 पीपीबी से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन बठिंडा जिले के पानी में यह मात्रा 10 गुना से अधिक 684 पीपीबी आंकी गई थी।
नए सिरे से जांच का आदेश दिया था
इस मामले में हाईकोर्ट ने मालवा और खास तौर पर बठिंडा के भूजल में यूरेनियम होने व बढ़ते कैंसर के मामलों को लेकर 14 साल से लंबित याचिका पर मुख्य सचिव को एहतियातन पूरे प्रदेश के भूजल की नए सिरे से जांच का भी आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार पानी में यूरेनियम को लेकर मानक बदले गए हैं। अब तय मात्रा 30 पीपीबी है। पंजाब सरकार ने बताया कि केंद्र सरकार का पत्र है कि 60 पीपीबी को उचित माना जा सकता है।