बनारस में कब मनाई जाएगी मसान होली, कैसे शुरू हुई ये परंपरा?

होली के दिन लोगों में बेहद खास उत्साह देखने को मिलता है। देशभर में कई तरह से होली खेली जाती है, जिसका विशेष महत्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर खुशियां मनाते हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश के बनारस में बहुत ही अलग तरीके से होली के पर्व को मनाया जाता है। यहां पर होली से कुछ दिन पहले विश्वनाथ मंदिर और मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख होली खेली जाती है, जिसे मसान होली के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कब है मसान होली और इसका धार्मिक महत्व है।

कैसे शुरू हुई ये परंपरा?
इस बार 11 मार्च को मसान होली है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवों के महादेव रंगभरी एकादशी के दिन मां पार्वती का गौना कराकर उन्हें काशी ले आए थे। उस दौरान उन्होंने सभी के साथ गुलाल से होली खेली थी। लेकिन भूत, प्रेत, जीव और जंतु समेत आदि गुलाल से होली के पर्व को नहीं मना सके। इसके बाद उन्होंने रंगभरी एकादशी के अगले दिन मसान की होली खेली थी। माना जाता है कि तभी से चिता की भस्म से मसान होली मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

कैसे खेलते हैं मसान होली
मसान होली के पर्व को मणिकर्णिका घाट पर बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मसान होली के दिन साधु और शिव भक्त महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं और हवन का आयोजन किया जाता है। इसके बाद चिता की भस्म से होली खेली जाती है। इस दौरान मणिकर्णिका घाट हर-हर महादेव से गूंज उठता है और बेहद खास नजारा देखने को मिलता है। इस शुभ अवसर पर साधु और शिव भक्त एक दूसरे को चिता की भस्म लगाकर सुख, समृद्धि, वैभव संग महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

होली 2025 डेट और टाइम
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर हो रही है और तिथि का समापन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। इस प्रकार 13 मार्च को होलिका दहन और अगले दिन यानी 14 मार्च को होली मनाई जाएगी।

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