माघ पूर्णिमा पर करें इस कथा का पाठ, भगवान विष्णु की बरसेगी कृपा

सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा की शुभ तिथि पर भगवान सत्यनारायण (Bhagwan Satyanarayan Katha) की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विधिपूर्वक व्रत भी किया जाता है। इसके अलावा माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2025) के दिन गंगा स्नान और दान करने का भी विधान है। मान्यता है कि इन शुभ कामों को करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा की तिथि को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा कर जीवन को सफल बनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस बार माघ पूर्णिमा का पर्व आज यानी 12 फरवरी (Magh Purnima 2025 Date) को मनाया जा रहा है।

धार्मिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन जप-तप और दान करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही बिगड़े काम पूरे होते हैं। ऐसा माना जाता है कि माघ पूर्णिमा की पूजा के दौरान कथा का पाठ न करने से व्यक्ति शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। इसलिए इस दिन कथा का पाठ करना बिलकुल भी न भूलें। आइए पढ़ते हैं माघ पूर्णिमा की कथा।

माघ पूर्णिमा व्रत कथा (Magh Purnima Vrat Katha in Hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक शुभ्रवत नाम का ब्राह्मण नर्मदा नदी के पास रहता था। वह बेहद लालची था। ब्राह्मण जीवन में किसी भी तरह धन की प्राप्ति चाहता था। समय बीतने के साथ उसे जीवन में बीमारियों का सामना करना पड़ा। इस दौरान उसे अहसास हुआ कि उसने अपना जीवन धन कमाने के काम में बिता दिया, लेकिन उद्धार कैसे होगा?

ऐसे में उसने माघ पूर्णिमा के दिन नर्मदा नदी स्नान किया। लगातार 9 दिनों तक स्नान करने से उसकी तबीयत बिगड़ गई। इस स्थिति में उसकी मृत्यु का समय नजदीक आ गया। उसने सोचा कि जीवन में कोई शुभ काम न करने से की वजह से नरक में दुखों का सामना करना पड़ेगा। इसके बाद भी उसे माघ माह में केवल 9 दिन तक स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति हुई।

माघ पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त (Magh Purnima 2025)
पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 11 फरवरी को शाम 06 बजकर 55 मिनट पर हो गई है और तिथि का समापन 12 फरवरी को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर होगा। इस प्रकार आज यानी 12 फरवरी माघ पूर्णिमा मनाई जा रही है।

ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ नमो भगवते धनवंतराय।
अमृताकर्षणाय धन्वन्तराय।
वेधासे सुराराधिताय धन्वंतराय।
सर्व सिद्धि प्रदेय धन्वंतराय।
सर्व रक्षा कारिणेय धन्वंतराय।
सर्व रोग निवारिणी धन्वंतराय।
सर्व देवानां हिताय धन्वंतराय।
सर्व मनुष्यानाम हिताय धन्वन्तराय।
सर्व भूतानाम हिताय धन्वन्तराय।
सर्व लोकानाम हिताय धन्वन्तराय।
सर्व सिद्धि मंत्र स्वरूपिणी।
धन्वन्तराय नमः।

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