बीएचयू में अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस एडनेट के दूसरे दिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से आए पुरातत्वविद् डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने बताया कि पहली बार मथुरा में शिव और पार्वती की 3000 साल पुरानी मिट्टी की प्रतिमा मिली। इस पर शिवलिंग का आकार बना हुआ है, जो कि उर्ध्वाधर है। इस साल मई में ब्रज के गोवर्धन पर्वत के पास खोदाई शुरू हुई थी। इन चीजों को महाभारत काल से जोड़ा जा रहा था।
बीएचयू के सेमिनार कॉम्पलेक्स में जंतु विज्ञान विभाग के कार्यक्रम में डॉ. गुप्ता ने कहा कि मथुरा में कुछ महीने पहले ही जमीन से 15 मीटर नीचे प्रतिमा मिली थी। यहां वर्षों तक पूजा-पाठ का प्रमाण मिला है। साथ ही 4800 साल पहले की गणेश्वर सभ्यता के बर्तनों के साक्ष्य भी देखे गए हैं। वहीं, सूखी प्राचीन नदी के भी पुरातात्विक प्रमाण मिले हैं। इतिहासकारों का मत है कि प्रथम शताब्दी के बाद से ही शिव-पावर्ती की प्रतिमा और पूजा के पुरातात्विक साक्ष्य मिलते हैं।
महाभारत काल की परत भी मिली
डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने कहा कि मथुरा से महाभारत काल यानी कि चित्रित धूसर मृद्भांड संस्कृति करीब आठ मीटर मोटी परत की जमावट मिली है। 23 मीटर गहराई पर एक सूख चुकी प्राचीन नदी चैनल का भी अस्तित्व है। ये विश्व पुरातत्व में अब तक की सबसे अभूतपूर्व उपलब्धि है। विशेष आकार के यज्ञकुंड और चार मुद्राओं में पूजा-पाठ के अवशेषों ने उस समय की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को उजागर किया।