संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (UNCTAD) ने अपनी 2024 की व्यापार और विकास रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। आइए, इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं पर एक नज़र डालते हैं।
आर्थिक वृद्धि का अनुमान
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था 2024 में 6.8% की वृद्धि दर्ज कर सकती है। इसके बाद, 2025 में यह वृद्धि 6.3% तक पहुंचने की उम्मीद है। इस वृद्धि को मजबूत घरेलू खपत और निजी निवेश का समर्थन मिल रहा है।
निर्यात में बढ़ोतरी
भारत में सेवाओं का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। हालांकि, कुछ वस्तुओं, जैसे रसायन और फार्मास्यूटिकल्स, के निर्यात में वृद्धि के बावजूद, भारत को कमजोर बाहरी मांग और उच्च जीवाश्म ऊर्जा आयात बिल के कारण संरचनात्मक चालू खाता घाटा झेलना पड़ रहा है।
ऊर्जा आपूर्ति का विस्तार
भारत, जो दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश और तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, अपने आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए घरेलू गैर-जीवाश्म और जीवाश्म ईंधन ऊर्जा आपूर्ति का विस्तार कर रहा है। यह कदम बढ़ते ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जरूरी है।
मुद्रास्फीति की स्थिति
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मुद्रास्फीति वर्ष के अंत तक 4% तक घटने की संभावना है। यदि ऐसा होता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को आसान बनाने के लिए अपनी पुनर्खरीद दर में कटौती कर सकता है।
पिछले वर्षों का प्रदर्शन
पिछले साल, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.7% थी। हाल के वर्षों में, भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6% के आसपास स्थिर बनी हुई है, जबकि मुद्रास्फीति की दर 4% है। UNCTAD की रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की सकारात्मक तस्वीर पेश करती है, लेकिन इसके साथ ही कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। मजबूत घरेलू मांग और निर्यात के बावजूद, अर्थव्यवस्था के लिए स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है।