विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की सालाना ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन के मुताबिक, अब धरती पर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ-2) औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर से 151 फीसदी अधिक है। अन्य ग्रीनहाउस गैसों, जैसे मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।
2023 में ग्रीनहाउस गैसों का स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है, जो बीते दो दशकों में सबसे अधिक है। इसमें महज 20 साल में 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की सालाना ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन के मुताबिक, अब धरती पर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ-2) औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर से 151 फीसदी अधिक है। अन्य ग्रीनहाउस गैसों, जैसे मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से जंगलों में आग, जंगलों के कम कार्बन अवशोषण और उद्योगों के अधिक जीवाश्म ईंधन इस्तेमाल करने की वजह से हुई है। डब्ल्यूएमओ के मुताबिक, मानव गतिविधियों ने ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को काफी बढ़ा दिया है,जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है। दुनिया में 2023 में हवा में कार्बन डाइऑक्साइड का औसत स्तर 420 प्रति मिलियन भाग (पीपीएम) तक पहुंच गया, मीथेन का स्तर 1934 प्रति बिलियन भाग (पीपीबी) और नाइट्रस ऑक्साइड का स्तर 336.9 पीपीबी तक पहुंच गया। इन संख्याओं का मतलब है कि औद्योगिक युग से पहले (लगभग 1750) के मुकाबले, कार्बन डाइऑक्साइड में 151 फीसदी, मीथेन में 265 फीसदी और नाइट्रस ऑक्साइड में 125 फीसदी की वृद्धि हुई है। ये माप ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच नाम के एक निगरानी स्टेशन नेटवर्क से लिए गए हैं। यह लंबे वक्त से इन गैसों का ट्रैक रखता है।
दुनिया के पारिस्थितिकी तंत्रों और समुदायों के लिए खतरा
बीते 20 वर्षों में सीओ2 का स्तर 11.4 (42.9 पीपीएम) फीसदी बढ़ा है। 1990 से ग्रीनहाउस गैसों की वजह से तापमान बढ़ाने वाला असर 50 फीसदी से अधिक हो गया है। इसमें असली भूमिका सीओ2 की है। जब तक उत्सर्जन जारी रहेगा, तापमान बढ़ता रहेगा, जो दुनिया भर में पारिस्थितिकी तंत्रों और समुदायों के लिए खतरा है। पिछले 20 सालों में, सीओ- 2 का स्तर 2004 में डब्ल्यूएमओ के ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच नेटवर्क के दर्ज 377.1 पीपीएम से 11.4% (यानी 42.9 पीपीएम) बढ़ गया है।
इन्सान को कई दशकों तक झेलना पड़ेगा तापमान में वृदि्ध का असर
डब्ल्यूएमओ बुलेटिन में के सालाना ग्रीनहाउस गैस इंडेक्स में बताया गया है। 1990 से 2023 के बीच, लंबे वक्त तक प्रभावी रहने वाली ग्रीनहाउस गैसों से जलवायु पर पड़ने वाला गर्मी का प्रभाव 51.5 फीसदी बढ़ गया। इस वृद्धि में सीओ- 2 का योगदान लगभग 81 फीसदी था। जब तक उत्सर्जन जारी रहेगा, ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में जमा होती रहेंगी, जिससे वैश्विक तापमान बढ़ता रहेगा। सीओ- 2 खास तौर से वातावरण में बहुत लंबे वक्त तक बनी रहती है, इसलिए भले ही हम जल्द ही उत्सर्जन कम कर दें, तापमान कई दशकों तक बहुत बढ़ा रहेगा।
जलवायु परिवर्तन हर साल बद से बदतर हो रहा
डब्ल्यूएमओ के महासचिव सेलेस्टे साउलो ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन हर साल बद से बदतर होता जा रहा है। दुनिया के नेताओं को इसे लेकर संजीदा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया पेरिस समझौते में तय किए गए सुरक्षित तापमान सीमा को पाने के रास्ते पर नहीं है।
इसमें ग्लोबल वार्मिंग को औद्योगिक पूर्व स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे और आदर्श रूप से 1.5 डिग्री से नीचे रखने का लक्ष्य था। तापमान में यह बढ़ोतरी महज आंकड़ों की बात नहीं है। इसका असली असर लोगों और पर्यावरण पर पड़ता है, जैसे कि चरम मौसम और समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी। तापमान में हर छोटा सा इजाफा और हर ग्रीनहाउस गैस का कण महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये हमारे जीवन और ग्रह पर जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभाव डालते हैं।