चीन जल्द ही पाकिस्तान में अपने सैनिकों की तैनाती करने जा रहा है। ये सैनिक चीन-पाकिस्तान के करीब 3,000 किमी लंबे आर्थिक मार्ग पर तैनात किए जाएंगे जो बलुचिस्तान के ग्वादर पोर्ट से चीन के शिनजियांग प्रांत को जोड़ता है।
एनडीटीवी के मुताबिक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्र सरकार के इस विषय से अवगत करा दिया है। एजेंसियों ने दावा किया है कि इस आर्थिक मार्ग पर चीन के सैनिकों के अलावा पाकिस्तानी सेना के जवान भी तैनात रहेंगे। इस हाइवे पर पाकिस्तान अपने तीन स्वतंत्र इंफैंट्री बिग्रेड और दो अतिरिक्त आर्टिलरी रेजीमेंट की तैनाती करेगा। इनमें एक ब्रिगेड में तीन रेजीमेंट होंगे और हर रेजीमेंट में करीब 1,000 सैनिक हो सकते हैं।
जिस आर्थिक राजमार्ग पर इन सैनिकों की तैनाती की जा रही है वह पाकिस्तान के बलुचिस्तान के ग्वादर पोर्ट से शुरू होकर मकरन, लाहौर और इस्लामाबाद होते हुए पाक शासित कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान को जोड़ती हुई चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर में जाकर खत्म होती है। यह मार्ग करीब 3,000 किमी लंबा है।
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) पर चीनी सैनिकों की तैनाती का पहला चरण दिसंबर 2016 में पूरा होने की उम्मीद है। इसके साथ ही चीन की पहुंच भारतीय महासागरों और अन्य क्षेत्रों तक हो जाएगी।
इस कॉरिडोर का सबसे ज्यादा फायदा चीन को ही मिलने वाला है। इससे वह आसानी से खाड़ी देशों से कच्चे तेल का आयात कर सकता है। इतना ही इस कॉरिडोर के बनने से खाड़ी देशों से चीन की दूरी 12,000 किमी से घटकर एक चौथाई रह जाएगी।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले साल अप्रैल के महीने में पाकिस्तान की यात्रा कि थी। इसी दौरान उन्होंने पाकिस्तान में हाईवे निर्माण के लिए 46 अरब डॉलर खर्च करने का प्रावधान किया था।