कांग्रेस ने भारत-चीन गश्त समझौते पर खड़े किए सवाल

कांग्रेस पार्टी का यह बयान रूस में आयोजित हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता से पहले आया है। जिसमें उसने सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं।

भारत और चीन मंगलवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए थे। अब विपक्षी दल कांग्रेस ने एलएसी पर गश्त को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। इस समझौते को लेकर कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि सैनिकों के पीछे हटने से मार्च 2020 जैसी यथास्थिति बहाल हो जाएगी। कांग्रेस ने सरकार से इस मामले में भारत के लोगों को विश्वास में लेने की बात भी कही है। कांग्रेस पार्टी का यह बयान रूस में आयोजित हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता से पहले आया है।

कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार की इस घोषणा को लेकर कई सवाल बने हुए हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग की व्यवस्था को लेकर चीन के साथ समझौता हो गया है। विदेश सचिव ने कहा है कि इस समझौते से “सैनिकों की वापसी हो रही है और अंततः 2020 में इन क्षेत्रों में पैदा हुए गतिरोध का समाधान हो रहा है। हम आशा करते हैं कि दशकों में भारत की विदेश नीति को लगे इस झटके का सम्मानजनक ढंग से हल निकाला जा रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि सैनिकों की वापसी से पहले जैसी स्थिति बहाल होगी, जैसी मार्च 2020 में थी ।

कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि, यह दुखद गाथा पूरी तरह से चीन के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नासमझी और भोलेपन का नतीजा है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, मोदी जी की चीन ने तीन बार भव्य मेजबानी की थी। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने चीन की पांच आधिकारिक यात्राएं कीं और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ 18 बैठकें कीं। इसमें उनके 64वें जन्मदिन पर साबरमती के तट पर बेहद दोस्ताने अंदाज में झूला झूलना भी शामिल है।

गलवां को लेकर पीएम पर साधा निशाना
कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि, भारत का पक्ष 19 जून 2020 को तब सबसे अधिक कमजोर हुआ जब प्रधानमंत्री ने चीन को बेशर्मी से क्लीन चिट देते हुए कहा, न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है। यह बयान गलवान में हुई झड़प के चार दिन बाद ही दिया गया था। जिसमें हमारे 20 बहादुर सैनिकों ने सर्वोच्च दान दिया था। उनका यह बयान न सिर्फ हमारे शहीद सैनिकों का घोर अपमान था बल्कि इस चीन की आक्रामकता को भी वैध ठहरा दिया। इसके कारण ही एलएसी पर गतिरोध के समय समाधान में बाधा उत्पन्न हुई।

उन्होंने अपने बयान में कहा कि, इस बीच, संसद को सीमा की चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे सामूहिक संकल्प को प्रतिबिंबित करने के लिए बहस और चर्चा करने का कोई अवसर नहीं दिया गया। पिछली सरकारों में इस तरह के गंभीर मुद्दों पर चर्चा और बहस की परंपरा रही है। अब जब चीन के साथ यह समझौता हुआ है तब, सरकार को भारत के लोगों को विश्वास में लेना चाहिए और निम्न महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देने चाहिए:

कांग्रेस के सवाल-
जयराम रमेश ने पूछा कि, क्या भारतीय सैनिक डेपसांग में हमारी दावे वाली लाइन से लेकर बॉटलनेक जंक्शन से आगे के पांच पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक पेट्रोलिंग करने में सक्षम होंगे जैसा कि वे पहले करने में सक्षम थे? क्या हमारे सैनिक डेमचोक में उन तीन पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक जा पाएंगे जो चार साल से अधिक समय से हमारे दायरे से बाहर हैं? हमारे सैनिक पैंगोंग त्सो में फिंगर 3 तक ही सीमित रहेंगे जबकि पहले वे फिंगर 8 तक जा सकते थे?

कांग्रेस ने सवाल पूछा कि, क्या हमारी पेट्रोलिंग टीम को गोगरा -हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में उन तीन पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक जाने की छूट है, जहां वे पहले जा सकते थे? भारतीय चरवाहों को एक बार फिर चुशुल में हेलमेट टॉप, मुक्पा रे, रेजांग ला, रिनचेन ला, टेबल टॉप और गुरुंग हिल में पारंपरिक चरागाहों तक जाने का अधिकार दिया जाएगा? क्या वे “बफर जोन” जो हमारी सरकार ने चीनियों को सौंप दिए थे, जिसमें रेजांग ला में युद्ध नायक और मरणोपरांत परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह का स्मारक स्थल भी शामिल था, अब अतीत की बात हो गए हैं?

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