इसमें प्रदूषण फैलाने वाली जगहों पर करीब 17.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ में 76 जगहों पर काम कर रहीं एजेंसियों को नोटिस भी दिया गया। अभियान में 13 संबंधित विभागों के अधिकारियों की 523 टीमें लगी हुई हैं।
बढ़ते प्रदूषण के बीच दिल्ली में बीते 13 दिनों में 2,762 जगहों पर धूल रोधी अभियान चलाया गया। इसमें प्रदूषण फैलाने वाली जगहों पर करीब 17.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ में 76 जगहों पर काम कर रहीं एजेंसियों को नोटिस भी दिया गया। अभियान में 13 संबंधित विभागों के अधिकारियों की 523 टीमें लगी हुई हैं। दिल्ली सरकार की सख्त हिदायत है कि निर्माण स्थलों पर धूल रोकने से जुड़े 14 नियमों को पूरी तरह लागू करना जरूरी है। ऐसा न करने वाली निर्माण एजेंसियों पर कार्रवाई होगी।
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में ग्रीन वॉर रूम से प्रदूषण पर निगरानी हो रही है। कई दूसरी तरह के काम भी हो रहे हैं। इसमें धूल रोधी अभियान, बायो डीकम्पोजर का छिड़काव, पौधरोपण अभियान, मोबाइल एंटी स्मॉग गन समेत जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ अलग-अलग विभागों की 523 टीमें ऐसी हर जगह की जांच कर रही हैं, जहां से धूल उड़ सकती है। निर्माण स्थलों के लिए 14 सूत्रीय नियम लागू है। सात नवंबर तक चलने वाले इस अभियान में जहां भी कोई धूल रोकने के नियम का पालन नहीं करेगा, उस पर कानूनी कार्रवाई की होगी। इसके बाद भी अगर निर्माण एजेंसी नहीं मानी तो निर्माण स्थल ही बंद कर दिया जाएगा।
गोपाल राय ने कहा कि धूल प्रदूषण को रोकने के लिए 85 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीनों, 500 वाटर स्प्रिंकलर की पूरी दिल्ली में तैनाती की गई है। नवंबर में एक शिफ्ट से बढ़ाकर तीन शिफ्टों में मोबाइल एंटी स्मॉग गन की सड़कों पर तैनाती होगी। धूल प्रदूषण कम करने के लिए हॉटस्पॉट वाले इलाकों में 80 मोबाइल एंटी स्मॉग गन लगाई गई हैं। राय ने दिल्लीवालों से अपील की है कि कहीं भी उनको अगर निर्माण व तोड़फोड़ के काम में अनियमितता दिखे तो वह तत्काल इसकी ग्रीन दिल्ली एप पर शिकायत करें, सरकार उचित कार्रवाई करेगी।
निर्माण स्थलों के लिए 14 नियम
. निर्माण स्थल के चारों तरफ धूल रोकने के लिए टीन की खड़ी करनी होगी ऊंची दीवार
. पांच हजार वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण स्थल पर लगानी होगी एंटी स्मॉग गन
. पांच से दस हजार वर्ग मीटर की साइट पर एक, 10-15 हजार वर्ग मीटर साइट पर दो, 15-20 हजार वर्ग मीटर की साइट पर 3 और 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर की निर्माण साइट पर न्यूनतम चार एंटी स्मॉग गन होनी जरूरी
. निर्माण और तोड़फोड़ कार्य के लिए निर्माणाधीन क्षेत्र और भवन को तिरपाल या नेट से ढंकना जरूरी
. निर्माण सामग्री को लाने, ले जाने वाले वाहनों की उचित सफाई
. निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहन पूरी तरह ढके होंगे
. मलबा चिन्हित जगह पर ही डालना जरूरी। सड़क किनारे फेंकने पर पाबंदी
. किसी भी प्रकार की निर्माण सामग्री, अपशिष्ट, मिट्टी-बालू बिना ढके नहीं रखनी
. खुले में पत्थर की कटिंग का काम नहीं होगा
. धूल से बचाव के लिए कच्ची सतह और मिट्टी वाले क्षेत्र में पानी का नियमित छिड़काव
. बीस हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र के निर्माण और ध्वस्तीकरण स्थल तक जाने वाली सड़क पक्की हो
. अपशिष्ट की निर्माण स्थल पर होगी रिसाइकलिंग या तयशुदा साइट पर निस्तारण
. निर्माण स्थल पर लोडिंग-अनलोडिंग के वक्त कर्मचारी के पास होगा डस्ट मास्क
. साइट पर काम करने वालों का चिकित्सा का इंतजाम होगा
. साइट पर इन दिशा-निर्देशों का साइन बोर्ड लगाना जरूरी
यमुना में उफन रहे झाग पर भाजपा ने चिंता जाहिर की
यमुना में उफन रहे झाग पर भाजपा ने चिंता जाहिर की है। कहा है कि कालिंदीकुंज में यमुना की बदहाली ने सरकार की पोल खोल दी है। दिल्ली सरकार पिछले एक महीने से लगातार प्रदूषण से बचाव का दावा कर रही है, लेकिन ये सभी फेल साबित हुए हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने शनिवार को कालिंदी कुंज पहुंचकर यमुना का जायजा लिया। यमुना में उफर रहे झाग पर हैरानी जताते हुए कहा कि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय एक माह से वायु एवं जल प्रदूषण कम करने को लेकर प्रचार प्रसार कर रहे हैं पर गत 48 घंटे में बढ़े एक्यूआई व यमुना में उठे झाग पर चुप्पी साधे हुए हैं।
पानी के ऊपर तैरते झाग की सफेद चादर इस बात के गवाह है कि पिछले 10 सालों से लगातार दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और अब आतिशी सरकार सिर्फ़ यमुना सफाई को लेकर दावे ही कर रही हैं। जमीनी हकीकत कुछ और ही है। केंद्र सरकार ने यमुना सफाई के लिए करोड़ों रुपये दिए, बावजूद यमुना साफ नहीं हुईं। यमुना किनारे खड़ा होना भी कई बीमारियों को बुलावा देता है डुबकी लगाना तो दूर की बात है। प्रदूषण सेस के नाम पर वसूल किए गए 1000 करोड़ रुपये भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। यमुना में 18 बड़े नाले और कुल 32 नाले गिरते हैं वहां पर एसटीपी प्लांट तक नहीं लगाया गया। इस मौके पर दिल्ली भाजपा प्रवक्ता व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अनिल गुप्ता, पार्षद ब्राह्म सिंह सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
प्रदूषण खत्म करने में दिल्ली सरकार विफल : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि राजधानी दिल्ली विश्व में प्रदूषित शहरों की श्रेणी में हमेशा उच्च स्तर पर रहती है। आम आदमी पार्टी की वजह से पिछले 10 वर्षों से इस समस्या का सामना दिल्ली वालों को करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार काम करने की बजाय सिर्फ घोषणा, कमेटियों का गठन, विंटर एक्शन प्लान में संशोधन करने का असफल प्रयास करती है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस कार्यशैली को ही वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी दोहरा रही हैं। प्रदूषण खत्म करने में दिल्ली सरकार विफल साबित हुई है।
देवेंद्र यादव ने यह भी कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील है कि एनसीआर के अनुपात में दिल्ली का औसतन एक्यूआई 292 के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जबकि अभी हवा में नमी नहीं आई है। बिना किसी प्रशासनिक पद पर होने के बावजूद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी के साथ में बैठकर दिल्ली सरकार की योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं, परंतु दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण पर चुप्पी साधे हुए हैं। दूषित यमुना में जहरीला पानी दिल्ली के लिए अभिशाप बन रहा है, जिसके लिए सिर्फ केजरीवाल जिम्मेदार हैं, क्योंकि तीन वर्षों में 200 करोड़ रुपये यमुना की सफाई में बह गए। राजधानी में वायु प्रदूषण का मूल कारण वाहनों का धुआं, फैक्ट्रियों का धुआं, निर्माण कार्य के धूल कण और टूटी सड़कों की धूल कण है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आतिशी हर दिन प्रदूषण की रोकथाम के लिए कमेटियों, टीम और योजनाओं की घोषणा कर रही हैं। कल 13 हॉटस्पॉट पर 13 कमेटियों का गठन किया गया जो इन हॉटस्पॉट पर निगरानी रखकर प्रदूषण कम करने के लिए काम करेंगी, बावजूद 13 हॉटस्पॉट नरेला में एक्यूआई 339, जहांगीरपुरी में 363, बवाना में 358, मुंडका में 378, रोहिणी में 364, अशोक विहार में 301, वजीरपुर में 388, विवेक विहार में 309, पंजाबी बाग में 296, आनंद विहार में 352, द्वारका में 344, आरकेपुरम में 280 ओर ओखला में 303 एक्यूआई रहा। आंकड़े आतिशी सरकार की विफलता को साफ उजागर कर रहे हैं।