पितृ पक्ष की चतुर्दशी पर शुक्ल योग का हो रहा है निर्माण

धार्मिक मत है कि पितृ पक्ष के दौरान (Aaj ka Panchang 01 October 2024) भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर कई शुभ एवं मंगलकारी योग बन रहे हैं। आइए पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं।

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 01 अक्टूबर यानी आज आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी है। इसके अगले दिन यानी 02 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या है। इस अवसर पर साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर पितरों का तर्पण कर रहे हैं। इसके साथ ही पिंडदान किया जा रहा है। इस शुभ तिथि पर दान-पुण्य करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होगी। ज्योतिषियों की मानें तो पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर दुर्लभ शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करने से साधक को पूर्वजों की कृपा प्राप्त होगी।

आज का पंचांग (Panchang 01 October 2024)
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आज 01 अक्टूबर को रात 09 बजकर 39 मिनट तक है। इसके बाद अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी। साधक अपनी सुविधा के अनुसार दिन की बेला में भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।

शुक्ल योग
पितृ पक्ष की चतुर्दशी पर दुर्लभ शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग देर रात 02 बजकर 18 मिनट तक है। ज्योतिष शुक्ल योग को शुभ मानते हैं। इस शुभ अवसर पर पूर्वाफाल्गुनी और उत्तराफाल्गुनी का भी संयोग बन रहा है। इन योग में पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों की कृपा साधक पर अवश्य ही बरसेगी। वहीं, देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।

पंचांग गणना

सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 07 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 37 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से 02 बजकर 57 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 07 मिनट से 06 बजकर 31 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक

अशुभ समय

राहु काल – दोपहर 03 बजकर 09 मिनट से 04 बजकर 38 मिनट तक

गुलिक काल – दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 01 बजकर 39 मिनट तक

दिशा शूल – उत्तर

ताराबल
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल
मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुंभ, मीन

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