हरियाणा: इंद्री-घरौंडा में घटे तो नीलोखेड़ी और करनाल में बढ़े प्रत्याशी

केंद्र सरकार ने भले ही महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आरक्षण दिया हो लेकिन चार चुनावों में नीलोखेड़ी में महिला प्रत्याशियों की संख्या हर बार घट रही है। जबकि घरौंडा विधानसभा क्षेत्र से तो 2009 के बाद कोई महिला चुनाव मैदान में नहीं उतरी।

हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए बिसात बिछ चुकी है और मैदान में उतरे प्रत्याशियों ने भी प्रचार तेज कर दिया है। लेकिन जिले की स्थिति यह है कि यहां कुछ विधानसभा क्षेत्रों से चुनावी मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों की संख्या घटती जा रही है तो वहीं कुछ जगह क्रेज बढ़ा भी है। पिछले 20 वर्ष यानी चार चुनावों की तुलना करें तो इंद्री और घरौंडा में प्रत्याशी पिछले चुनावों के मुकाबले घटे हैं। जबकि नीलोखेड़ी और करनाल में प्रत्याशियों की संख्या बढ़ी है।

केंद्र सरकार ने भले ही महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आरक्षण दिया हो लेकिन चार चुनावों में नीलोखेड़ी में महिला प्रत्याशियों की संख्या हर बार घट रही है। जबकि घरौंडा विधानसभा क्षेत्र से तो 2009 के बाद कोई महिला चुनाव मैदान में नहीं उतरी। यहां अंतिम बार 2005 में दो महिलाओं ने चुनाव लड़ा और रेखा राणा जीतकर विधायक बनीं।

आंकड़ों पर नजर डालें तो 1996 और 2014 का चुनाव ही ऐसा रहा, जहां सभी सीटों पर अब तक के सर्वाधिक प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे। कहीं 25 लोगों ने ताल ठोकी तो कहीं 35 का आंकड़ा पार हुआ। हरियाणा गठन से लेकर 2024 के चुनाव तक खत्म हो चुकी जुंडला सीट समेत सभी छह सीटों पर 974 प्रत्याशियों ने विधानसभा जाने के लिए ताल ठोकी। इनमें से 72 को ही सफलता मिल पाई। वहीं अब तक हुए चुनावों में महज 53 महिलाएं ही चुनाव लड़ चुकी हैं।

यहां से अब तक इतने प्रत्याशी चुनाव लड़े

विस क्षेत्र कुल प्रत्याशी महिला प्रत्याशी
करनाल 187 12
घरौंडा 178 03
इंद्री 176 09
नीलोखेड़ी 171 12
असंध 151 09
जुंडला 111 08

यहां इस बार इतने प्रत्याशी

विस क्षेत्र कुल प्रत्याशी महिला प्रत्याशी
नीलोखेड़ी 15 02
असंध 14 02
करनाल 12 02
घरौंडा 08 00
इंद्री 06 00

इस सीट की यह है स्थिति
करनाल : 2000 के बाद 2014 को छोड़कर पहली बार 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। 2000 और 2014 में 14 प्रत्याशी उतरे थे। जबकि गत चुनाव में 10 तो 2005 और 2009 में 11-11 प्रत्याशी ही थे। 1996 में सर्वाधिक 34 नेताओं ने चुनाव लड़ा था। इनमें महिला एक भी नहीं थी। तीन बार को छोड़कर 1982 से महिलाएं भी चुनावी मैदान में उतरीं। 2014 की तरह इस बार भी दो महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं।

नीलोखेड़ी : 2014 अपवाद को छोड़कर 1996 के बाद पहली बार 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। 1996 में 19 ने चुनाव लड़ा था। जबकि 2014 में 17 ने लड़ा। इसके अलावा 1987 और 91 में सर्वाधिक 21-21 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें महिला एक भी नहीं थी। यहां महिलाओं का रुझान घटा है। इस बार दो महिलाएं ही मैदान में हैं। जबकि गत चुनाव में तीन और इससे पहले चार महिलाएं उतरी थी। 2009 में भी दो महिलाओं ने चुनाव लड़ा तो वहीं 2005 में पहली बार एक महिला चुनाव मैदान में उतरी।

इंद्री : 1977 के बाद यह पहला मौका है जब इंद्री में छह प्रत्याशी हैं। 1977 में अब तक की सबसे कम महज चार ने चुनाव लड़ा था। जबकि इसके बाद हर बार 10 से ज्यादा प्रत्याशी मैदान में रहे। पिछली बार 11 तो इससे पहले 2009 और 14 में 16-16 प्रत्याशी और 2000 और 05 में 15-15 प्रत्याशी थे। 1996 में सर्वाधिक 30 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे। इनमें महज एक महिला थी। खास बात यह है कि पहले तीन चुनावों में एक ही महिला प्रत्याशी प्रसन्नी देवी मैदान में उतरी और जीती थी। इस बार एक भी महिला मैदान में नहीं है। पिछले दो चुनावों में भी करीब 10 साल इंतजार के बाद एक महिला ने चुनाव लड़ा।

घरौंडा : 2009 के बाद यहां प्रत्याशियों की संख्या लगातार घट रही है। इस बार 10 प्रत्याशी मैदान में हैं। जबकि 2009 में 15, 2014 में 14 और 2019 में 13 प्रत्याशी मैदान में थे। 2005 में महज छह प्रत्याशी ही उतरे थे। 1996 में सर्वाधिक 35 लोगों ने चुनाव लड़ा, इनमें एक महिला थी। यहां महिलाओं ने चुनावी रण छोड़ दिया है। पिछले डेढ़ दशक से एक भी महिला मैदान में नहीं है। 2005 में अंतिम बार दो महिलाओं ने चुनाव लड़ा और रेखा राणा जीतकर विधायक बनी थी। इससे पहले 1996 में पहली बार एक महिला ने चुनाव लड़ा। जबकि इससे पहले के सात चुनावों में कोई महिला मैदान में नहीं उतरी।

असंध : 2014 के चुनाव में यहां सर्वाधिक 28 प्रत्याशी मैदान में थे। इस बार इसके आधे 14 प्रत्याशी ही चुनाव में उतरे हैं। दोनों बार दो-दो महिलाओं ने ताल ठोकी। पिछले चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में थे और किसी भी महिला ने चुनाव नहीं लड़ा। यहां 1977 में पहली बार चुनाव हुआ। खास बात यह है कि यहां अब तक हुए दस चुनावों में छह बार महिलाओं ने भी चुनावी लड़ाई लड़ी।

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