सोनिया गांधी के बाद उनके बेटे राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें यूं तो काफी समय से लग रही हैं, हालांकि अब इसकी तारीख तय हो गई है. खबरों के मुताबिक, राहुल अक्टूबर महीने में कांग्रेस की कमान संभाल सकते हैं.
कांग्रेस कार्यसमिति की इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से 2019 के चुनाव के लिए तैयार रहने और भारत के मूल तत्व और विचार को बचाए रखने को कहा, जिसे सरकार खत्म करने का प्रयास कर रही है. कांग्रेस अध्यक्ष के आवास पर हुई इस बैठक में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी , पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा एके एंटनी, पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद सहित विभिन्न वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया.
इस बैठक में सोनिया ने कहा, मोदी सरकार ने हाल में तीन वर्ष पूरे किए हैं. जहां पहले सौहार्द्र था, अब वहां नफरत है. जहां पहले सहिष्णुता थी, आज भड़काया जा रहा है. जहां कश्मीर अपेक्षाकृत रूप से शांत था, वहीं आज टकराव, तनाव एवं भय बढ़ रहा है. जहां आर्थिक संभावनाएं थीं, वहीं अब ठहराव है. जहां समृद्ध वैविध्य था, आज वहां पूरे देश को पीछे ले जाने वाले और संकुचित विश्व दृष्टिकोण में जकड़ने के लिए खुलेआम एक अभियान चलाया जा रहा है.
बैठक को संबोधित करते हुए पार्टी अध्यक्ष ने कहा, सबसे बुरी बात है कि महिलाएं, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक एवं अन्य उत्पीडि़त वर्ग संकटपूर्ण समय का सामना कर रहे हैं. विभाजनकारी मुद्दों को हवा दी जा रही है और जो लोग कोई दूसरा मत या विचार रखते हैं, उनके जीवनयापन और खानपान की आदतों पर हमला किया जा रहा है.
मनमोहन सिंह ने गिनाए नोटबंदी के नुकसान
वहीं इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी के कारण भारत के आर्थिक विकास में भारी गिरावट आई है. बैठक में मनमोहन ने कहा, भारत के पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही और पूरे वित्त वर्ष 2016-17 के जीडीपी आंकड़े कुछ दिन पहले जारी किए गए. खासतौर से नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी घोषणा के कारण भारत के आर्थिक विकास में भारी गिरावट आई है. उन्होंने कहा, निजी क्षेत्र का निवेश ध्वस्त हो गया है और अर्थव्यवस्था एकमात्र सार्वजनिक व्यय से चल रही है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने रोजगार सृजन को सबसे चिंताजनक पहलु बताया. उन्होंने कहा, इसमें सबसे चिंताजनक बात रोजगार सृजन का प्रभाव है. देश के युवाओं के लिए रोजगार मिलना बहुत कठिन हो गया है. देश में सबसे अधिक रोजगार सृजन करने वाला निर्माण उद्योग सिकुड़ रहा है. इसका मतलब है कि देश में लाखों नौकरियां खत्म हो रही हैं.