अजा एकादशी पर सिद्धि योग समेत बन रहे हैं 5 मंगलकारी संयोग

सनातन धर्म में एकादशी पर्व ((Aja Ekadashi 2024) का विशेष महत्व है। इस शुभ तिथि पर जगत नारायण भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वैष्णव समाज के लोग एकादशी पर्व धूमधाम से मनाते हैं।

वैदिक पंचांग के अनुसार, 29 अगस्त को अजा एकादशी है। यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को जन्म-जन्मांतर में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो अजा एकादशी पर सिद्धि योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा (Aja Ekadashi Puja Vidhi) करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

अजा एकादशी शुभ मुहूर्त (Aja Ekadashi Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि गुरुवार 29 अगस्त को देर रात 01 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 30 अगस्त को देर रात 01 बजकर 37 मिनट पर कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त होगी। साधक 29 अगस्त को अजा एकादशी का व्रत रख सकते हैं। वहीं, पारण का समय 30 अगस्त को सुबह 07 बजकर 49 मिनट से लेकर 08 बजकर 40 मिनट तक है।

सिद्धि योग
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर संध्याकाल 06 बजकर 18 मिनट तक सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग संध्याकाल 04 बजकर 39 मिनट से शुरू हो रहा है। इस योग का समापन 30 अगस्त को सुबह 05 बजकर 58 मिनट पर होगा।

शिववास योग
अजा एकादशी पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग 30 अगस्त को रात 01 बजकर 37 मिनट तक है। शिववास योग के दौरान भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

करण योग
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर बव करण का निर्माण दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक है। इसके बाद बालव करण का संयोग मध्य रात्रि तक है। इस दिन आर्द्रा और पुनर्वसु नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है।

पंचांग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 08 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 47 मिनट पर

चन्द्रोदय- देर रात 02 बजकर 29 मिनट पर (30 अगस्त)

चंद्रास्त- दोपहर 03 बजकर 49 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 37 मिनट से 05 बजकर 23 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 25 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 10 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक

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