अजूबा तरीका
27 मई से रमजान का महीना शुरू हो गया है । इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय के लोगों के रोजे भी शुरू हो गए हैं। ये रोजे अगले माह 24 जून तक चलेंगे। जिसके बाद ईद होगी। रमजान की शुरूआत चांद दिखने बाद मस्जिदों से लोगों को पता चलती है और रोजों के सहरी और इफ्तार का समय भी। ऐसे में हर मस्जिद का अपना तरीका है खबर देने का वैसे सामान्य तौर पर रोजेदारों को आजान की आवाज बता देती है कि रोजा शुरू करने और खत्म करने का समय हो गया है। इस सबके बीच भोपाल में रायसेन स्थित मस्जिद अपने अलग अंदाज में ये खबर लोगों को देती है। यहां चांद का दीदार करने के बाद शहर के काजी मस्जिद की पारंपरिक तोप से बारूदी गोले दागकर लोगों को चांद दिखने की सूचना देते हैं। तोपों की आवाज सुनकर लोग समझ जाते हैं कि अगले दिन से रोजा रखना है। इसके बाद पूरे रमजान में भी मस्जिद से गोले दागे जाते हैं, ताकि उनकी आवाज सुनकर लोग सहरी और इफ्तार का वक्त जान जाएं।
खर्च की जिम्मेदारी मस्जिद कमेटी पर
हर रमजान में दागे जाने वाले इन गोलों पर आने वाला खर्च मस्जिद कमेटी वहन करती है। रमजान में इसे चलाने के लिए स्थानीय डीएम से खासतौर से इजाजत ली जाती है। सुननेमें आया है कि रायसेन के किले में रखी पुरानी तोप से ही सारे गोले दागे जाते हैं। तोप से आग के सहारे गोले दागे जाते हैं। इस दौरान तोप का मुंह आसमान की तरफ रखा जाता है ताकि किसी को नुकसान न होने पाए।