वक्फ बोर्ड की शक्तियों को कम करने के लिए सरकार सच्चर कमेटी और JPC की सिफारिशों को हथियार बना सकती है। सूत्रों की मानें तो नए प्रस्तावित अध्यादेश में नया कुछ नहीं है। पहले की सिफारिशों के मिले सुझावों को ही अध्यादेश में शामिल किया गया है।
वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाने की तैयारी में जुटी सरकार विपक्ष के हर हमले की काट के लिए व्यापक तैयारी में जुट गई है। वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन विधेयक मामले में सरकार सच्चर कमेटी और यूपीए-1 के कार्यकाल में रहमान खान की अगुवाई में बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों को हथियार बनाएगी। इस दौरान सरकार यह भी बताएगी कि आखिर नरसिंह राव और मनमोहन सरकार के दौरान किन सियासी कारणों से वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दी गईं।
सरकार के सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित विधेयक में नया कुछ नहीं है। पहले सच्चर कमेटी और बाद में जेपीसी ने जो सिफारिशें की थीं और इससे भी पहले मुस्लिम समाज की ओर से वक्फ में सुधार के लिए जो सुझाव मिले थे, विधेयक में उसी को शामिल किया गया है।
मसलन सच्चर कमेटी ने अपनी सिफारिशों में राज्य वक्फ बोर्ड में कम से कम दो और केंद्र्रीय वक्फ परिषद में एक महिला की नियुक्ति को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की थी। इस कमेटी के साथ जेपीसी ने भी माना था कि वक्फ में पारदर्शी व्यवस्था बनाना जरूरी है। वक्फ संस्थाओं में कुप्रबंधन से निपटने के लिए वैधानिक शक्तियों का उपयोग जरूरी है। प्रस्तावित विधेयक में इन्हीं भावनाओं को शामिल किया गया है।
कुप्रबंधन और अपारदर्शिता की बात भी सच्चर कमेटी और जेपीसी दोनों ने माना था कि वक्फ बोर्ड में व्यापक कुप्रबंधन के साथ संपत्तियों के संदर्भ में व्यापक स्तर पर अपारदर्शिता है। जेपीसी से कुप्रबंधन से निपटने के लिए राज्य सरकारों के वैधानिक शक्तियों के उपयोग पर जोर दिया था।
सच्चर कमेटी ने देखरेख के लिए पूर्णकालिक सीईओ की नियुक्ति, तकनीकी विशेषज्ञ की नियुक्ति, सभी वक्फ का वित्तीय लेखा जोखा अनिवार्य करने की सिफारिश की थी। मंत्री ने कहा कि हम विधेयक पर चर्चा के दौरान बताएंगे कि अधिनियम में दो बार संशोधन करके कैसे राव और यूपीए सरकार ने असांविधानिक रूप से वक्फ बोर्ड को असीमित शक्ति दे दी।
टीडीपी-जनसेना पार्टी से विमर्श बाकी
विधेयक पेश करने से पहले सरकार सहयोगी दलों के साथ ही इससे जुड़े हितधारकों के संपर्क में है। भाजपा ने टीडीपी-जनसेना को छोड़ कर अन्य सहयोगियों की सहमति हासिल कर ली है। कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कुछ सदस्यों से सरकार के स्तर पर बातचीत हुई है।
हिंदुओं को क्यों नहीं दी गई थी जमीन?
मंत्री ने कहा कि बंटवारे के समय भारत छोड़ कर पाकिस्तान गए मुसलमानों की संपत्ति नेहरू सरकार ने वक्फ को दे दी। पाकिस्तान सरकार ने हिंदुओं की संपति अपने पास रखी। नियमानुसार वक्फ को अपने देश में मिली ऐसी संपत्तियों के एक हिस्से का बंटवारा उन हिंदु शरणार्थियों में करना चाहिए था, जो पाकिस्तान में अपना सबकुछ लुटा चुके थे। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वक्फ को मुसलमानों की संपत्ति क्यों दी गईं?
राव और मनमोहन सरकार के दौरान वक्फ अधिनियम में हुए दो बार संशोधन से तस्वीर पूरी तरह से बदल गई। राव सरकार के दौरान संशोधनों के जरिए वक्फ को भूमि अधिग्रहण के असीमित अधिकार देने के साथ ही पूर्ण स्वायत्तता दे दी। 2013 में संशोधनों के जरिए यह प्रावधान किया गया कि वक्फ से जुड़े विवाद के लिए पीडि़त को उसी के शरण में जाना होगा। वक्फ ट्रिब्युनल के फैसले को हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं जा सकेगी।