पानीपत में व्यापारी का बेटा सट्टे में हारा 22 करोड़, बेच डाली फैक्ट्री…

आए दिन सट्टेबाजों के मामले सामने आ रहे है जहां पानीपत जिले में धागा व्यापारी का बेटा जुए में 22 करोड़ रुपए हार गया। पैसे लौटाने के लिए उसने अपनी फैक्ट्री भी बेच दी। इसके बाद भी वह सट्टेबाजों का कर्ज नहीं चुका पाया। सट्टेबाज उस पर रोजाना 1 लाख रुपए का जुर्माना लगा रहे हैं। उसे कई बार घर से उठाकर बंधक बनाकर भी पीटा गया। इससे परेशान होकर युवक सुसाइड नोट छोड़कर घर से चला गया था, लेकिन अब वापस आ गया है। जिसके बाद बीते दिन शुक्रवार को शहर के सभी बड़े उद्योगपति, पूर्व मेयर एकजुट हुए और पीड़ित उद्योगपति को अपने साथ चांदनी बाग थाने लेकर पहुंचे। यहां उन्होंने आरोपियों के खिलाफ शिकायत देकर केस दर्ज करने की गुहार लगाई। साथ ही परिवार को सुरक्षा देने की भी मांग की।

पीड़ित के पिता रामकुमार गाबा ने बताया कि मुझे जब पता लगा, तब तक ये इस दलदल में फंस चुका था। बेटा इनसे बचना चाहता है। इस दलदल में बहुत लोग फंसे हुए है। ये लोग रात को घर के बाहर आकर इसे घर से उठाते थे और फिर मारते-पीटते और धमकाते थे। कभी हमने घर के बाहर आकर पूछा भी कि ये कौन है, तो बेटे ने डर की वजह हमेशा ये ही कहा कि ये सभी साथी व्यापारी है। जो पैसा चला गया है, उसका दु:ख नहीं है, लेकिन अब हम चाहते हैं कि जो लोग इस दलदल में फंस चुके हैं, उन्हें किसी तरह बचाया जा सके।

सुसाइड नोट में थे 5 सट्टेबाजों के नाम
पिता के नाम लिखे सुसाइड नोट में अक्षय गाबा ने बताया था कि शहर के 5 सट्टेबाजों ने उससे करीब 22 करोड़ ऐंठ लिए हैं। इसके बाद भी उस पर करोड़ों रुपए देने का दबाव बनाया जा रहा है। उसे परेशान किया जा रहा है। अक्षय गाबा के चचेरे भाई निशांत का कहना है कि 26 जुलाई को अक्षय लापता हो गया था। पुलिस को शिकायत दी तो पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया। पुलिस को अक्षय के हाथ का लिखा नोट भी दिया, बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। अब वह चांदनीबाग थाने जाकर अक्षय के बयान दर्ज कराएंगे। अब वह सट्टेबाजों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं।

पढ़िए अक्षय गाबा ने क्या लिखा था नोट में
पेपर में अक्षय गाबा ने लिखा था कि पापा आपको सब बता रहा हूं, जो काफी टाइम पहले बता देना चाहिए था। यह सोचकर नहीं बता रहा था कि क्या पता सब ठीक हो जाए। लेकिन बचा हुआ भी खराब हो गया। आप मुझे जो भी पैसे डालते गए वह सब में मैच में हार गया। अपना तो सब कुछ खत्म किया ही बल्कि लोगों का कर्ज भी सिर पर चढ़ गया। जो प्रेशर अब मुझे जीने नहीं दे रहा है। मैंने पूरी कोशिश की सब ठीक हो जाए, लेकिन अब मैं हार चुका हूं। रोजाना घुट घुट कर जीने से अच्छा, मैं मर जाता हूं। दिन रात लोगों के फोन सुन-सुन कर, धमकियां सुन-सुन कर मैं पागल हो चुका हूं। लोगों ने मुझे दलदल में फंसा दिया है जिससे अब निकल नहीं पाया। रात-रात को घर के बाहर आते थे। मैं कहां से पैसा देता। सेविंग भी निकाल कर दे दी। सारी सीसी खत्म कर दी। अपना सब खत्म कर दिया।

कुछ नहीं बचा, अब पापा कुछ नहीं बचा। आप लोगों का क्या होगा, मेरी बीवी बच्चे का क्या होगा, सोच-सोच कर पागल हो चुका हूं। आप मुझसे पूछते थे कि पैसे कहां गए, अब मैं उनके नाम और साथ में अमाउंट लिख रहा हूं। हो सके तो मुझे माफ कर दे देना। आज तक आपको कोई सुख नहीं दिया और ऊपर से यह मुसीबत में डाल दूंगा। अब पानी सर से निकल चुका है। लोगों ने घर आना शुरू कर दिया है जिससे आपको शक होने लगा। कब तक छुपाता आपसे। आज नहीं तो कल, सब पता चलना ही था। मुझे नहीं पता आप यह सब कैसे झेलोगे, पर मैं नहीं झेल पा रहा। लोगों के दिन में 500 फोन आते हैं और घर भी आते हैं।

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