बदायूं निवासी धीरज और तेजपाल अपनी माता राजेश्वरी को चारधाम की यात्रा करने के लिए पालकी में बैठाकर पैदल यात्रा कर रहे हैं। जब भी सनातन धर्म में श्रवण कुमार का जिक्र आता है, वह आज भी लोगों को अपने माता-पिता की सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
कलियुग के इस दौर में जहां लोग अपने मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं और अपने साथ रखने में बोझ समझते हैं। वहीं इस बात पर शायद ही विश्वास होगा, कि कोई बेटा अपनी मां को कंधे पर बैठा कर चार धाम की पैदल यात्रा कराने निकला है। यह सच है जो बदायूं के दो सगे भाइयों ने कर दिखाया।
बदायूं निवासी धीरज और तेजपाल अपनी माता राजेश्वरी को चार धाम की यात्रा करने के लिए पालकी में बैठाकर पैदल यात्रा कर रहे हैं। जब भी सनातन धर्म में श्रवण कुमार का जिक्र आता है, वह आज भी लोगों को अपने माता-पिता की सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं। हर माता-पिता चाहते हैं, कि उनकी संतान श्रवण कुमार जैसी हो।
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के ग्राम नूरपुर गांव के रहने वाले धीरज और तेजपाल अपनी माता राजेश्वरी के लिए श्रवण कुमार बने हैं। दोनों अपनी माता को पालकी में बैठाकर चारधाम यात्रा करा रहे हैं। दोनों भाइयों ने अपनी माता के लिए पालकी बनाई और उसमें बैठाकर अपने कंधों पर उठाकर पैदल चार धाम यात्रा करा रहे हैं। धीरज कुमार ने बताया कि कई वर्ष से हम कांवड़ लेकर आ रहे हैं। एक बार मन में विचार आया की मां को चार धाम की यात्रा कराएंगे।
भाई तेजपाल से मन की बात बताई तो भाई तेजपाल ने कहा कि भैया मैं इंटर परीक्षा पास कर लूं तब करेंगे। मैंने ईश्वर से प्रार्थना की कि मेरा भाई पास हो जाए, भगवान ने उसे पास कर दिया तो दोनों भाइयों ने मां को घर से लेकर 18 फरवरी को निकल पड़े। आठ मार्च को हरिद्वार पहुंचे।, उसके बाद आगे की यात्रा प्रारंभ की। मां को चार धाम की यात्रा कराकर शनिवार को देर रात को सुल्तानपुर पट्टी पहुंचे और अयोध्या धाम के लिए यात्रा निकल पड़े।
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