बजट में डिजिटल सुरक्षा को बढ़ावा देने की मांग कर रही हैं साइबर सिक्योरिटी कंपनियां

Budget 2024 भारत में एआई को तेजी से अपनाने की कोशिशों की जा रही है। इसी बीच साइबर सुरक्षा से जुड़ी कंपनियों को उम्मीद है कि आगामी केंद्रीय बजट में अलॉटमेंट के माध्यम से देश के डिजिटल क्षेत्र की सुरक्षा को बढ़ावा देने के उपाय शामिल किए जाएंगे। AI-संचालित मॉडल का उपयोग भारत की रक्षा और खुफिया क्षमताओं को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है।

जैसे-जैसे भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को तेजी से अपनाने के लिए तैयार हो रहा है, साइबर सुरक्षा फर्म आगामी केंद्रीय बजट में सरकार से अधिक सपोर्ट की मांग कर रही हैं। उनका मानना ​​है कि देश की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अधिक फंडिंग और प्रोत्साहन के लए जरूरी हैं।

इननेफू लैब्स के सीईओ और सह-संस्थापक तरुण विग ने कहा कि यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। AI और मशीन लर्निंग (ML) मॉडल को परिष्कृत साइबर हमलों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकारी समर्थन की आवश्यकता होती है।

विग ने टॉप साइबर सिक्योरिटी टैलेंट को बढ़ावा देने और बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया, साथ ही कंपनियों को विशेष रूप से साइबर सिक्योरिटी एप्लिकेशन के लिए AI मॉडल के प्रशिक्षण में निवेश करने के लिए सशक्त बनाया। उन्होंने कई संभावित लाभों पर प्रकाश डाला। आइये इसके बारे में जानते हैं।

कैसे मददगार होगा AI?

AI-संचालित मॉडल का उपयोग भारत की रक्षा और खुफिया क्षमताओं को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है।

AI मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क और अन्य साइबर आपराधिक गतिविधियों की पहचान करने और उन्हें बाधित करने में मदद कर सकता है।

इसके अलावा AI दूरदराज के क्षेत्रों में कुशल शासन सेवाएं देने में भूमिका निभा सकता है।

विग ने दो-आयामी दृष्टिकोण का सुझाव देते हुए कहा कि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों में अनुसंधान और विकास (R&D) पहलों के लिए सरकारी फंड दे सकती है। इसके साथ ही एकेडमिक अनुसंधान के लिए निरंतर सपोर्ट दिया जा सकता है।

इससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और टॉप टैलेंट को आकर्षित किया जा सकेगा, जिससे एआई और अन्य उभरती तकनीकी के लिए एक बेहतरीन डिजिटल इकोसिस्टम का निर्माण होगा।

अंतरिम बजट में फंड की धोषणा
सरकार ने पहले 2024-25 के अंतरिम बजट में सनराइज तकनीकी में R&D के लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड की घोषणा की थी। हालांकि, उद्योग के नेताओं का मानना ​​है कि यह राशि और अधिक की होनी चाहिए।

आईआईटी कानपुर द्वारा इनक्यूबेट किए गए फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (FCRF) के सह-संस्थापक शशांक शेखर ने साइबर सुरक्षा निवेश की तुलना ‘डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं के लिए बीमा’ से की।

उन्होंने साइबर हमलों के प्रति भारत की भेद्यता की ओर इशारा किया कि नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ उन्हें सुरक्षित करने की जरूरत पर बल दिया।

शेखर ने कहा कि सरकार से एक मजबूत घरेलू साइबर सुरक्षा उद्योग बनाने पर विचार करने का आग्रह करते हैं। उनका मानना ​​है कि 2047 तक विकसित भारत (विकसित भारत) के सपने को साकार करने के लिए यह जरूरी है।

फ्यूचर एक्स के दक्षिण एशिया उपाध्यक्ष रुचिन कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए वित्त पोषण में वृद्धि के माध्यम से साइबर सुरक्षा कार्यबल कौशल अंतर को संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विशेष साइबर सुरक्षा पाठ्यक्रम और प्रमाणन विकसित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग का भी आह्वान किया।

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