वर्षों बाद गुरु प्रदोष व्रत पर शिववास समेत बन रहे हैं ये 7 संयोग

धार्मिक मत है कि त्रयोदशी तिथि (Guru Pradosh Vrat 2024) पर भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। गुरु प्रदोष व्रत करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही शत्रुओं का नाश होता है। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों ही करते हैं। इस अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 18 जुलाई को प्रदोष व्रत है। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते यह गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat 2024) कहलाएगा। इस दिन भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त गुरु प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो गुरु प्रदोष व्रत पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। आइए, योग के बारे में जानते हैं।

गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Guru Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई को संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 19 जुलाई को संध्याकाल 07 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए प्रदोष काल संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट से लेकर 09 बजकर 22 मिनट तक है।

ब्रह्म योग
गुरु प्रदोष व्रत पर दुर्लभ ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 14 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 19 जुलाई को ब्रह्म बेला में होगा। ब्रह्म योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सभी प्रकार के दुखों का अंत होता है।

शिववास योग
ज्योतिषियों की मानें तो गुरु प्रदोष व्रत पर दुर्लभ शिववास का निर्माण हो रहा है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव कैलाश पर शाम 08 बजकर 44 मिनट तक जगत जननी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी पर सवार होंगे। शिव पुराण में निहित है कि भगवान शिव के कैलाश और नंदी पर सवार रहने के दौरान अभिषेक करने से सभी प्रकार के कार्यों में सिद्धि मिलती है।

करण
गुरु प्रदोष व्रत पर बव, बालव और कौलव करण का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन सर्वप्रथम बव करण का निर्माण हो रहा है। इसके बाद बालव करण का निर्माण होगा। कौलव करण का समापन संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट पर होगा। इसके बाद कौलव करण का निर्माण होगा। इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है।

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