रुद्रप्रयाग: 12 घंटे ड्राइविंग सहित ये गलितयां पड़ी भारी

रुद्रप्रयाग के समीप रैंतोली में जिस सड़क हादसे में 15 लोगों की जान गई, उस घटनास्थल पर क्रैश बैरियर होता तो सब बच सकते थे। हादसे के बाद परिवहन विभाग की टीम की जांच में ये तथ्य सामने आया है। टीम ने अपनी रिपोर्ट परिवहन मुख्यालय को भेज दी है, जिस पर मुख्यालय आगे की कार्रवाई करेगा।1

5 जून को सुबह करीब साढ़े 11 बजे एक टैंपो ट्रैवलर ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग के समीप रैंतोली में 250 मीटर गहरी खाई में गिर गया था, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी। मामले की जांच के लिए आरटीओ पौड़ी द्वारिका प्रसाद की अगुवाई में सहायक निदेशक पुलिस अविनाश चौधरी, सहायक निदेशक परिवहन नरेश संगल और सहायक निदेशक लोनिवि संजय बिष्ट की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया।

टीम ने अपनी जांच में पाया कि घटनास्थल पर पांच सीमेंट के पैराफीट बने थे। इससे ठीक पहले और इनके ठीक बाद क्रैश बैरियर लगाए गए थे। वाहन इन पैराफीट को तोड़ते हुए खाई में गिर गया। जांच टीम ने पाया है कि अगर पूरा क्रैश बैरियर लगा होता तो हादसे को टाला जा सकता था। इतनी जानें बचाई जा सकती थीं।

इस रिपोर्ट से लोनिवि पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जिसने पैराफीट को छोड़ते हुए क्रैश बैरियर लगाया था। माना जाता है कि क्रैश बैरियर की मजबूती ही एकसाथ लगे होने पर होती है। उधर, संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह का कहना है कि अभी रिपोर्ट प्राप्त हुई है। उसका अध्ययन किया जा रहा है। उसी हिसाब से आगे की कार्रवाई होगी।

12 घंटे की ड्राइविंग पड़ी जान पर भारी

टीम ने जांच में ये भी पाया है कि जिस वाहन के साथ हादसा हुआ है, वह रात को करीब 11 बजे दिल्ली से रवाना हुआ था। अगले दिन जब घटना हुई, उस वक्त सुबह के करीब 11:20 बज रहे थे। करीब 400 किमी की यात्रा में तीन घंटे वाहन विभिन्न जगहों पर रुका जरूर लेकिन ड्राइवर को आराम नहीं मिल पाया। चूंकि घटनास्थल पर सड़क समतल है, इसलिए नींद का दबाव होने के चलते ये संभावना जताई गई है कि झपकी आने की वजह से वाहन खाई में गया है।

इतनी तेज गति कि पांच में से पांचों पैराफीट टूट गए

जांच टीम ने पाया है कि वाहन की गति तेज थी। वाहन ने पहले दो पैराफीट ब्लॉक तोड़े। फिर तीसरे ब्लॉक के ऊपर से निकलकर चौथे ब्लॉक को आंशिक रूप से तोड़ते हुए वाहन पांचवें ब्लॉक को ध्वस्त करते हुए नीचे गिर गया।

टीम ने ये सिफारिशें कीं

जांच में ये तथ्य सामने आया कि वाहन चालक ने यात्रा 14 जून की रात शुरू कर दी थी और उसके लाइसेंस पर हिल पृष्ठांकन 15 जून को ऑनलाइन अंकित हुआ है। टीम के मुताबिक, वाहन चालकों के पहाड़ में ड्राइविंग के लिए हिल पृष्ठांकन का काम अब ऑनलाइन किया जा रहा है, जिससे गड़बड़ी व चूक की सबसे ज्यादा आशंका है। लिहाजा, ऑफलाइन जांच पड़ताल के बाद ही ड्राइविंग के लाइसेंस का हिल पृष्ठांकन किया जाए।

-चूंकि वाहन चारधाम यात्रा पर नहीं था, इसलिए उसका ग्रीन कार्ड, टि्रप कार्ड भी नहीं था। इसके चलते वाहन के ओवरलोडिंग की जानकारी भी नहीं मिल पाई। लिहाजा, पहाड़ आने वाले सभी वाहनों का टि्रप कार्ड, ग्रीन कार्ड बनाया जाना चाहिए।

-ऋषिकेश-रुद्रप्रयाग मार्ग पर शिवपुरी, देवप्रयाग व मां धारी देवी मंदिर के समीप काफी संख्या में वाहन सड़क पर पार्क होने से जाम लगा रहता है। इसके अलावा ब्रह्मपुरी से आगे व शिवपुरी में राफि्टंग प्रारंभिक बिंदु पर भी जाम की स्थित रहती है। माना जा रहा है कि यहां जाम में फंसने के कारण चालक तेजी से वाहन चला रहा होता है, ताकि समय से आगे पहुंच जाए। इसके कारण भी हादसे का खतरा है। लिहाजा, पार्किंग स्थल विकसित करने जरूरी हैं।

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