किसान आंदोलन : बॉर्डर पर युद्ध जैसे हालात, दाता सिंहवाला बॉर्डर पर दिनभर का हाल

किसान आंदोलन ने दातासिंह वाला बॉर्डर पर सातवें दिन जो रुख लिया वह किसी युद्ध से कम नजर नहीं आ रहा है। पुलिस और किसान एक-दूसरे को पराजित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दातासिंह वाला बॉर्डर पर हालात काफी चिंताजनक है। पुलिस किसानों के वाहनों को अपना शिकार बना रही है तो किसान भी पुलिस पर पराली जलाकर फेंक रहे हैं।

ऐसा लग रहा है मानो यह एक-दूसरे को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाने का दंगल हो। इस आंदोलन का परिणाम जो भी हो, फिलहाल यह काफी खतरनाक हो चुका है। पुलिस कर्मचारी भी घायल हुए हैं। एक युवा किसान की मौत तथा काफी किसान घायल होने के बाद उपचार के लिए ले जा रहे हैं।

लगातार सरकार से बातचीत होने से लग रहा था कि किसानों और सरकार के बीच समझौता हो जाएगा, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ी, इसका परिणाम यह हुआ कि एक नौजवान को अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ी तथा 50 के आसपास किसान घायल हो गए। काफी पुलिस कर्मचारियों को भी चोट आई है।

इसके अलावा आसपास के खेतों में खड़ी फसल भी खराब हो गई है। किसानों के काफी वाहन टूटे नजर आ रहे हैं। किसान भी पुलिस पर पराली में आग लगाकर फेंक रहे हैं। पुलिस भी इसमें पीछे नहीं रही। उसने भी आगे बढ़कर किसानों के ट्रैक्टरों, ट्रॉलियों तथा अन्य वाहनों को क्षतिग्रस्त किया। 

आग लगाकर पुलिस की तरफ पराली फेंकते रहे किसान
किसानों का पराली में आग लगाकर उन पर मिर्ची पाउडर डालकर पुलिस की तरफ फेंकना किसी युद्ध से कम नहीं है। ऐसे हालात काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। पुलिस से पार पाने के लिए किसान आंसू गैस के गोलों को भी मात देने के लिए उन पर गीली बोरियां डाल रहे हैं। इसके अलावा पत्थरबाजी करना भी किसानों का काम नहीं है। ऐसे में हालात और भी खराब हो रहे हैं।

पुलिस ने भी आगे बढ़कर निकाला अपना गुस्सा
दातासिंह वाला बॉर्डर पर जहां पुलिस ने बैरिकेड्स लगाए हैं, उससे लगभग 100 मीटर आगे बढ़कर किसानों पर खूब लाठियां भांजी। किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस कर्मचारी ट्रॉलियों से सामान भी उठा ले गए। बाइकों को भी लठों से तोड़ दिया। कोहाड़ ने आरोप लगाया कि यह पुलिस हरियाणा की नहीं हो सकती। जैसे अंग्रेज दमन करते थे, हरियाणा पुलिस ने उससे भी ज्यादा भयंकर रूप धारण कर लिया है। एक युवा किसान को गोली मार दी।

पिछले किसान आंदोलन से खतरनाक स्थिति
पिछले किसान आंदोलन में जींद जिले को कोई नुकसान नहीं हुआ था। यहां पर पुलिस व किसानों के बीच कोई झपड़ नहीं हुई थी। जींद के अंदर से होते हुए किसान दिल्ली शांतिपूर्वक तरीके से कूच किए थे, लेकिन इस बार दातासिंह वाला बॉर्डर पर पूरा घमासान चल रहा है।

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