दिल्ली बॉर्डर सील ; वैकल्पिक मार्गों पर जाम में फंस रहीं रोडवेज बसें

किसानों के आंदोलन के चलते हरियाणा-पंजाब और हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर सील है। इससे सभी वर्गों की परेशानियां बढ़ गई हैं। वैकल्पिक मार्गों पर भारी जाम है। इससे रोडवेज बसें और अन्य वाहन बंद हैं। हालात यह है कि चंडीगढ़ और दिल्ली जाने वालों के कई घंटे अतिरिक्त लग रहे हैं। बॉर्डर पर की गई किलेबंदी के कारण दिल्ली से संपर्क लगभग टूटा सा गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ छह दिन में करीब 100 शोरूम बंद हो गए हैं। यही नहीं मॉल, पेट्रोल पंपों पर भी दिन भर सन्नाटा पसरा रहता है। राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ के ढाबों, रेस्तरां और होटलों का कामधंधा भी प्रभावित है।

दिल्ली कूच को लेकर 13 फरवरी को शंभू बाडॅर पर किसानों और सुरक्षा बलों के बीच टकराव को देखते हुए दिल्ली और सोनीपत पुलिस ने कुंडली बॉर्डर को पूरी तरह सील कर दिया था। सरकार और किसानों के बीच बातचीत पर सबकी नजर बनी हुई है। इस बीच केजीपी-केएमपी के जीरो प्वाइंट से लेकर कुंडली बार्डर तक करीब छह किलोमीटर क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर के कामधंधे प्रभावित हैं। करीब 100 शोरूमों पर ताला लटक चुका है। संचालकों का कहना है कि बॉर्डर सील होने से ग्राहक नहीं आ रहे। इससे मजबूरन ताला लगाना पड़ रहा है। कामगारों को कई किलोमीटर पैदल ही सफर तय करना पड़ रहा है।

किराया वही, फेरा बढ़ा, जाम से हालत खराब
किसान आंदोलन के चलते हरियाणा-पंजाब और हरियाणा दिल्ली बॉर्डर को सील किया गया है। जिसके चलते बसों को चंडीगढ़ जाने के लिए वाया यमुनानगर व दिल्ली जाने के लिए वाया नरेला भेजा जा रहा है। इन मार्गाें पर पहले से ही जाम होने के कारण बसें भी जाम में फंस रही हैं। चंडीगढ़ जाने वाली बसों को 30 किलोमीटर अतिरिक्त जाना पड़ रहा है। राहत की बात यह है कि अभी तक किराया नहीं बढ़ाया गया है। हालांकि जाम के कारण गंतव्य तक पहुंचने में कई घंटे अधिक लग रहे हैं।

एसोसिएशन के प्रधान राकेश देवगन सहित अन्य उद्योगपतियों का कहना है कि बॉर्डर सील होने से उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। उद्योगपतियों का कहना है कि वह सरकार को टैक्स देते हैं। इसके बावजूद भी वह नुकसान क्यों झेलें। सरकार को चाहिए कि कुंडली बॉर्डर सील रहने की अवधि के नुकसान का आकलन कर उद्योगपतियों के लिए पैकेज जारी करे।

प्रतिक्रिया
बॉर्डर सील होने से उद्योगों में कच्चा माल लाने और तैयार माल भेजने की लागत लगभग दोगुनी हो गई है। दिल्ली जाने के लिए सफियाबाद नरेला से लिंक मार्गों को खोला गया है। हालांकि इन रास्तों पर जाम के कारण भारी वाहन नहीं आ रहे। इस कारण उद्योगपतियों को कच्चा माल लाने और तैयार माल भेजने के लिए छोटे वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे लागत दोगुना बढ़ गई है। पहले भारी वाहनों से माल ढुलाई के लिए जहां 10 हजार रुपये खर्च होते थे। वहीं अब 18 से 20 हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। आर्डर तैयार करने के दाम पहले से ही तय हैं। इससे उद्योगपतियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। -कुंडली औद्योगिक एसोसिएशन के प्रमुख सुभाष गुप्ता, राई औद्योगिक मैन्युफैक्चरिंग।

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