छह साल की उम्र में क्रिकेट का सफर शुरू करने वाले सरफराज खान (Sarfaraz khan) का हमेशा से सपना अपने पिता के सामने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना था। सरफराज ने कहा कि भारत के लिए खेलना मेरे पिता सपना था लेकिन दुर्भाग्य से किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। तब घर से उतना समर्थन नहीं मिला। उन्होंने मेरे ऊपर कड़ी मेहनत की और अब मेरे भाई के साथ ऐसा ही कर रहे हैं।
यह मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है। मैं हमेशा ही अपने पिता के सामने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना चाहता था। रन और प्रदर्शन मेरे दिमाग में उतना नहीं था जितना मैं अपने पिता के सामने भारत के लिए खेलने को लेकर खुश था। मेरे पिता राजकोट आने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों ने जोर दिया कि उन्हें जाना चाहिए। बेशक उन्हें आना चाहिए था क्योंकि उन्होंने इसी दिन के लिए इतनी कड़ी मेहनत की थी।