वडोदरा झील में नाव पलटने से 12 स्कूली बच्चों व 2 शिक्षकों की मौत के मामले में गुजरात उच्च न्यायालय ने महानगर पालिका को खरीखोटी सुनाई। न्यायालय ने कहा कि अब तक कार्यवाही रिपोर्ट क्यों पेश नहीं की गई, क्या मनपा प्रशासन राजनीति से जुडे लोगों को बचाना चाहता है।
कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने 18 जनवरी को वडोदरा की झील में नाव पलटने की घटना पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरु की है। न्यायालय ने घटना को लेकर मनपा की ओर से कार्यवाही रिपोर्ट पेश नहीं करने पर कहा कि आप केवल जवाब नहीं इस मामले में तथ्य पेश करें। न्यायालय ने त्रुशा पटेल को कोर्ट मित्र बनाया है।
अधिवक्ता ब्रजेश त्रिवदी ने कोर्ट से की थी अपील
गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता ब्रजेश त्रिवदी ने इस मामले में उच्च न्यायालय से स्वत: संज्ञान लेने की अपील की थी। उन्होंने न्यायालय में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पर सरकारी अधिकारी व राजनीति से जुडे लोगों को बचाने का आरोप लगाया।
तीन सप्ताह बाद होगी मामले की सुनवाई
सरकार की ओर से महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने जवाब पेश करते हुए कहा कि घटना की सूचना मिलते ही तुरंत राहत एवं बचाव कार्य शुरु किये गये। पीडितों को मुआवजा दिया गया तथा इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का भी गठन किया है। इस मामले में 3 सप्ताह बाद सुनवाई होगी।
जांच में नाव संचालन में गंभीर लापरवाही की पुष्टि हुई है, नाव में क्षमता से अधिक बच्चे बिठाए गये साथ ही उन्हें लाइफ सेविंग जैकेट भी नहीं पहनाए गये थे। इस मामले में अब तक 19 में से 13 आरोपित पकडे गये हैं जबकि 6 फरार हैं।
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