बनारस की शक्ति पूजा का मंचन अब शतक की देहरी पर पहुंच गया है। काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के आंगन से निकला रूपवाणी संस्था का नाटक राम की शक्ति पूजा आज शतक पूरा करेगा। इस संख्या का स्पर्श करने वाला यह बनारस का पहला नाटक है। 11 सालों में देश के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समारोहों में इसकी 99 प्रस्तुतियां हो चुकी हैं।
गुरुवार यानी आज नई दिल्ली के ऐतिहासिक पुराना किला परिसर के भव्य मुक्ताकाशीय मंच पर इंटरनेशनल रामायण फेस्टिवल की उद्घाटन प्रस्तुति के तौर पर राम की शक्ति पूजा का 100वीं बार मंचन होगा। समारोह में भारत से राम की शक्तिपूजा के साथ-साथ इंडोनेशिया, मलयेशिया, थाईलैंड, मॉरिशस, सिंगापुर और श्रीलंका के सर्वोत्तम रंगसमूह रामायण पर एकाग्र अपने नाटकों का प्रदर्शन करेंगे। फरवरी 2013 में नागरी नाटक मंडली के प्रेक्षागृह में शक्तिपूजा का पहला मंचन हुआ था। तब से अब तक देश-भर के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समारोहों, उत्सवों, मंचों और कला केंद्रों पर 99 बार इसके प्रदर्शन हो चुके हैं।
भारत के प्रधानमंत्री, फ्रांस के राष्ट्रपति और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस नाटक के प्रशंसकों में शामिल हैं। रूपवाणी समूह की संस्थापिका और शिक्षाविद डॉ. शकुंतला शुक्ल ने निरालाजी की कालजयी कविता-पंक्तियों के आधार पर इस प्रस्तुति का नाट्यालेख तैयार किया था। निर्देशक व्योमेश शुक्ल ने बताया कि राम की शक्ति पूजा बनारस का पहला नाटक होगा जिसकी 100वीं प्रस्तुति होने जा रही है।
राम और रावण युद्ध पर केंद्रित है शक्ति पूजा
राम की शक्ति पूजा नाटक राम और रावण के युद्ध पर आधारित है। रावण पर विजय के लिए राम शक्ति की आराधना करते हैं। उन्होंने देवी को 108 नीलकमल अर्पित करने का संकल्प लिया था, लेकिन देवी चुपके से आकर आखिरी पुष्प चुरा ले जाती हैं। राम अपना नेत्र अर्पित कर डालने के लिए हाथों में तीर उठा लेते हैं तभी देवी प्रकट हो जाती हैं। उन्हें आशीष देती हैं।
पुरस्कृत कलाकार हैं टीम का हिस्सा
राम की शक्तिपूजा के निर्देशक हिंदी के जानेमाने लेखक, संस्कृतिकर्मी और नागरी प्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ल हैं। निर्देशन के लिए उन्हें संगीत नाटक अकादमी का उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार मिल चुका है। वहीं, भगवान राम का अभिनय करने वाली स्वाति को अभिनय के लिए अकादमी ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार दिया गया है।
जादू जगाता है बनारस घराने का संगीत
हनुमान की भूमिका निभाने वाले तापस शुक्ल युवा कवि हैं और उन्हें हाल ही में रविशंकर उपाध्याय कविता पुरस्कार मिला है। सीताजी और देवी की भूमिका निभाने वाली नंदिनी ने ही नाटक का वस्त्र भी परिकल्पित किया है। लक्ष्मण की भूमिका साखी और यूथपति सुग्रीव की भूमिका शाश्वत निभाते हैं।
राम की शक्तिपूजा का संगीत बनारसी अंदाज का है। निर्देशक व्योमेश के साथ मिलकर आशीष मिश्र और जेपी शर्मा ने इसे तैयार किया था। इसमें बनारस के तबले और कथक के बोलों, वैदिक उच्चारण, खास बोल-बनाव की गायकी, अतुल शंकर की बांसुरी और अंकुर मिश्र के सितार की सुमधुर रागिनियों और फ्यूजन के कमाल को लोगों ने बहुत पसंद किया है।