दुनिया के सेमीकंडक्टर उद्योग के मानचित्र पर भारत का नक्शा भी दिसंबर, 2024 के पहले स्थापित हो जाएगा। अमेरिकी सेमीकंडक्टर निर्माता कंपनी माइक्रोन के सानंद (गुजरात) स्थित फैक्ट्री से पहला चिप इस साल के अंत तक निकल जाएगा।
बहुत संभव है कि टाटा समूह की तरफ से धोलेरा (गुजरात) में लगाई जाने वाली चिप फैक्ट्री से भी उत्पादन अगले वर्ष के मध्य से शुरू हो जाएगा। यह जानकारी संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स तथा आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट (वीजीजीएस) के दसवें संस्करण के अवसर पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दी।
वैष्णव ने माइक्रोन के अधिकारियों के साथ चिप प्लांट के काम काज की समीक्षा की और बताया कि अमेरिकी कंपनी के लोग निर्माण कार्य से काफी संतुष्ट हैं। उन्हें जितनी तेजी से मंजूरियां दी जा रही हैं वैसा उन्हें दुनिया के और किसी भी देश में नहीं मिली।
सिमटेक ने गुजरात और भारत सरकार से किया समझौता
गुरुवार को माइक्रोन के चिप के लिए प्रिटेंड सर्किट बोर्ड बनाने वाली दक्षिण कोरियाई कंपनी सिमटेक ने भी गुजरात में प्लांट लगाने के लिए भारत सरकार व गुजरात के साथ समझौता किया है। इसके लिए गुजरात सरकार 30 एकड़ जमीन देगी जो माइक्रोन की फैक्ट्री के पास ही है।
वैष्णव ने बताया कि, “मााइक्रोन को चिप निर्माण में मदद के लिए कुल 250 तरह के सामानों की जरूरत होती है और इन्हें तैयार करने वाली कई कंपनियां भारत सरकार के साथ संपर्क में है। कोशिश यह है कि चिप मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग का सारा सप्लाई चेन यहां स्थापित हो। इस काम में टाटा समूह की नई चिप फैक्ट्री से और बढ़ावा मिलेगा। टाटा समूह की चिप फैब्रीकेशन फैक्ट्री माइक्रोन से बड़ी होगी और इसके लिए विस्तार से घोषणा जल्द ही कंपनी की तरफ से किये जाने की संभावना है।”
टाटा समूह ने की घोषणा
टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रेशकरन ने इसकी घोषणा एक दिन पहले की थी। गुरुवार (11 जनवरी, 2024) को टाटा समूह के प्रतिनिधियों की गुजरात सरकार और केंद्र सरकार के साथ बैठक भी हुई है।
वैष्णव ने बताया कि केंद्र सरकार ने गुजरात को एक प्रमुख चिप निर्माण स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए एक बड़ा फैसला अब यह किया है कि आइआइटी, गांधीनगर को इस उद्योग के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर चिन्हित किया गया है।
आइआइटी में इस उद्योग के लिए प्रशिक्षण व प्रयोग की सुविधा होगा। आइआइटी, गांधीनगर केंद्र सरकार को भी मदद करेगा। उन्होंने बताया कि देश के दूसरे हिस्सों में भी चिप मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने को लेकर कुछ और कंपनियां भारत सरकार के साथ संपर्क में है।
एक बार माइक्रोन का प्लांट भारत में काम करना शुरू कर दे तो दूसरी कंपनियों का भरोसा बढ़ेगा और वह अपनी निवेश योजना को अंतिम रूप देंगी।
कंपनियों को मिलती है सब्सिडी
बताते चलें कि भारत में जो भी कंपनी चिप मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाएगी उसको केंद्र सरकार से आर्थिक सब्सिडी भी दी जा रही है।
उदाहरण के तौर पर माइक्रोन की प्लांट की लागत 2.75 अरब डॉलर है लेकिन कंपनी को सिर्फ 80 करोड़ डॉलर का ही निवेश करना पड़ रहा है। शेष राशि का एक बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से उसे सब्सिडी के तौर पर दी जाएगी।
माइक्रोन के प्रेसिडेंट व सीईओ संजय मेहरोत्रा ने यहां बताया कि सरकार की तरफ से दी जाने वाली मदद काफी महत्वपूर्ण है। खास तौर पर इस उद्योग के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधन व प्रशिक्षित श्रम उपलब्ध कराने में।
गुजरात का चयन उन्होंने यहां मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग के प्रसार को देखते हुए किया है। सीधे तौर पर माइक्रोन प्लांट के पहले चरण में पांच हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा।