पांच करोड़ रुपये से अधिक कारोबार वाले व्यवसाय एक मार्च से सभी B2B लेनदेन के लिए ई-चालान विवरण शामिल किए बिना ई-वे बिल नहीं निकाल सकेंगे। बता दें कि वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत, 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के माल के अंतर-राज्य परिवहन के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता होती है।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) ने कहा कि विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि कुछ करदाता, जो ई-चालान के लिए पात्र हैं, B2B (बिजनेस टू बिजनेस) और B2E (बिजनेस टू एक्सपोर्ट) के लिए E-इनवॉयस से लिंक किए बिना ई-वे बिल तैयार कर रहे हैं।
इनमें से कुछ मामलों में, ई-वे बिल और e-इनवॉयस के तहत अलग-अलग दर्ज किए गए चालान विवरण कुछ मापदंडों के संबंध में मेल नहीं खा रहे हैं। इससे ई-वे बिल और ई-इनवॉइस स्टेटमेंट में बेमेल का मामला सामने आ रहा है।
1 मार्च से होगा बदलाव
ऐसी स्थितियों से बचने के लिए, एनआईसी ने जीएसटी करदाताओं को सूचित करते हुए बताया कि 1 मार्च 2024 से ई-इनवॉयस विवरण के बिना ई-वे बिल बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह ई-इनवॉयस सक्षम करदाताओं और B2B और एक्सपोर्ट के तहत आपूर्ति से संबंधित लेनदेन के लिए लागू है।
हालांकि, एनआईसी ने कहा कि B2C और गैर-आपूर्ति जैसे अन्य लेनदेन के लिए ई-वे बिल बिना किसी बदलाव के सामान्य रूप से काम करेंगे।