बिहार में जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट और उसपर आधारित आरक्षण लागू होने के कुछ समय बाद ही जातीय राजनीति से जुड़े एक बड़े केस ने बहुत कुछ बदल दिया है। लालू-राबड़ी शासनकाल के दौरान जातीय संघर्ष में अगड़ी जाति, खासकर भूमिहारों की कमान संभालने वाले ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने नया नाम जोड़ा है। मुख्य आरोपी के रूप में पूर्व विधान पार्षद हुलास पांडेय का नाम शामिल किया गया है। हुलास इस समय चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। भोजपुर में आवास के पास ही ब्रह्मेश्वर मुखिया को भून डाला गया था। अब भोजपुर जिला एवं सत्र न्यायालय में सीबीआई ने यह सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है।
रणवीर सेना प्रमुख की हत्या में अब क्या हुआ
1 जून 2012 को सुबह मॉर्निंग वॉक के दौरान अपने आवास में गली के पास ही रणवीर सेवा के प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया को छह गोलियां मारी गई थीं। लगभग 1 साल तक बिहार पुलिस ने इसकी जांच की, लेकिन राज्य की एक बड़ी राजनीतिक हत्या की जांच में कुछ बड़ा योगदान नहीं दे सकी। एक साल बाद यह केस सीबीआई को सौंपा गया और अब उसके करीब साढ़े नौ साल बाद सीबीआई ने पूरक आरोप पत्र में हुलास पांडे के साथ-साथ अभय पांडे, रितेश कुमार उर्फ मोनू, नंद गोपाल पांडे उर्फ फौजी, अमितेश कुमार पांडे उर्फ गुड्डू पांडे, प्रिंस पांडे, ईश्वर पांडे और मनोज राय उर्फ मनोज पांडे का नाम शामिल किया है। पूरक आरोप पत्र के अनुसार हुलास पांडे ने सात अन्य आरोपियों के साथ मिलकर ब्रह्मेश्वर नाथ सिंह उर्फ बामेश्वर मुखिया की हत्या का षड्यंत्र रचा और उन्हें गोलियों से भून डाला था।
सीबीआई ने कई बार चिपकाए थे इनामी पोस्टर
इस मामले की जांच में कई बार जांच की गई लेकिन जांच प्रक्रिया के दौरान सीबीआई के हाथ कुछ नहीं लगे। तब सीबीआई ने कई बार शहर के कई महत्वपूर्ण जैसे आरा सदर अस्पताल और शहर के कॉलेजों की दीवारों पर इस हत्याकांड में शामिल लोगों के संबंध में जानकारी देने वालों को दस लाख रुपया देने की बात प्रकाशित की गई थी। साथ में यह भी लिखा था कि जानकारी बताने वालों का नाम गुप्त रखा जायेगा।