कुरुक्षेत्र में करीब तीन माह पहले रेलवे स्टेशन की दीवार पर तलहेड़ी के रहने वाले मलक सिंह ने सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू के कहने पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे थे। पन्नू ने उसे भरोसा दिया था कि नारे लिखने से कुछ नहीं बिगड़ेगा। उसने यह भी लालच दिया था कि उसे कनाडा भी बुला लिया जाएगा। इसके लिए पन्नू उससे लगातार संपर्क करने लगा था। आरोपी मलक सिंह ये नारे लिखने के लिए घर से रेलवे स्टेशन पहुंचा और इसके लिए पेंट की स्प्रे बोतल भी खरीदी, जो नारे लिखे जाने के बाद दीवार के दूसरी ओर फेंक दी थी।
यह खुलासा आरोपी मलक सिंह ने जीआरपी के समक्ष किया। जीआरपी ने उसे सात दिसंबर को तिहाड़ जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लिया था, जिसके बाद उसे अदालत में पेश कर एक दिन के रिमांड पर लिया गया। रिमांड पूरा होने पर गत दिवस उसे वापस तिहाड़ जेल छोड़ दिया गया। जीआरपी के मुताबिक एक दिन के रिमांड के दौरान ही आरोपी द्वारा फेंकी गई स्प्रे बोतल भी बरामद कर ली गई है।
बता दें कि कुरुक्षेत्र के रेलवे स्टेशन की दीवार पर पांच सितंबर को खालिस्तानी नारे लिखे थे। पंजाबी भाषा में लिखा गया था कि पंजाब भारत का हिस्सा नहीं है। नारों के साथ सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) भी लिखा था। सूचना मिलते ही जीआरपी ने इन नारों पर पेंट करवा दिया था तो मामले की जांच भी शुरू कर दी थी।
उधर, दिल्ली पुलिस ने 27 सितंबर को कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन के पास युधिष्ठर सेतु की दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखने के आरोप में 21 नवंबर को मलक सिंह को कैथल के गांव महमदपुर से गिरफ्त में लिया था। जहां पूछताछ में सामने आया था कि कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन पर भी उसी ने उक्त नारे लिखे थे। ऐसे में अब जीआरपी उसे सात दिसंबर को प्रोडक्शन वारंट पर लेकर पहुंची थी।
यू-ट्यूब पर डाली पोस्ट से मिला पन्नू का मोबाइल नंबर, फिर होती रही बातचीत
जीआरपी एसएचओ ओमप्रकाश का कहना है कि आरोपी मलक सिंह ने पूछताछ में माना कि वह यू-ट्यूब पर पन्नू की वीडियो देखता था और वहीं से मोबाइल नंबर लेकर एक बार उससे संपर्क किया। इसके बाद पन्नू खुद उसके पास कॉल करने लगा और बातचीत होने लगी, जिसमें उसने नारे लिखने के लिए उकसाया था और कहा था कि नारे लिखने से कुछ नहीं बिगड़ता। जिस मोबाइल से मलक सिंह ने पन्नू से बातचीत की, वह फिलहाल दिल्ली पुलिस के कब्जे में है। आरोपी ने माना कि वह नारे लिखने के लिए घर से बस में सवार होकर आया। मोहन नगर चौक पर उतरकर रेलवे स्टेशन पर पहुंचा। इस बीच उसे एक व्यक्ति शराब खरीदता दिखा तो उसने भी कुछ शराब खरीदकर पी, जिसके बाद नारे लिखे और दीवार के दूसरी ओर स्प्रे बोतल फेंक दी। यहां रेलवे का ही स्टोर होने के चलते बोतल अभी तक किसी के हाथ नहीं लगी थी और घास में दबने लगी थी।