विपक्ष के नेताओं को एपल की ओर से बड़ी चेतावनी मिली है। इंडिया अलायंस के करीब चार विपक्षी नेताओं ने दावा किया है उन्हें Apple की ओर से राज्य-प्रायोजित साइबर अटैक की चेतावनी मिली है। दावा के मुताबिक इन नेताओं के iPhones किसी भी वक्त हैक सकते हैं।
एपल ने अपने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि उसने इस तरह का कोई अलर्ट नहीं भेजा है, हालांकि एपल ने यह भी कहा है कि वह इस मामले की जांच कर रहा है आखिर यह नोटिफिकेशन कैसे गया। यहां एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि यदि यह नोटिफिकेशन किसी बग के कारण गया है तो सिर्फ विपक्ष के नेताओं के फोन पर ही क्यों गया है, किसी अन्य यूजर्स के फोन पर क्यों नहीं?
शिव सेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है, ”जिस तरह से मुझे कल रात चेतावनी मिली, उससे पता चलता है कि यह केंद्र सरकार का पूरा प्लान है और मुझे सावधानी बरतने की जरूरत है। चेतावनी में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ये हमले ‘राज्य प्रायोजित’ हैं’…केवल विपक्ष के नेताओं को ही ऐसे संदेश क्यों मिल रहे हैं? इससे पता चलता है कि बड़े पैमाने पर विपक्ष के निगरानी की चल रही है। इसकी जांच होनी चाहिए और केंद्र को इस पर स्पष्टीकरण देने की जरूरत है
प्रियंका चतुर्वेदी के अलावा टीएमसी की महुआ मोइत्रा और कांग्रेस नेता शशि थरूर के अलावा पवन खेड़ा ने भी इसी तरह का दावा किया है। आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा है कि उन्हें एपल की ओर से “राज्य प्रायोजित अटैकर्स द्वारा उनके फोन पर हमला अटैक करने की कोशिश करने के बारे में चेतावनी मिली है।
दवायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन 11 नेताओं और संपादकों को मिली है चेतावनी
महुआ मोइत्रा (तृणमूल कांग्रेस सांसद)
प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना यूबीटी सांसद)
राघव चड्ढा (आप सांसद)
शशि थरूर (कांग्रेस सांसद)
असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम सांसद)
सीताराम येचुरी (सीपीआई (एम) महासचिव और पूर्व सांसद)
पवन खेड़ा (कांग्रेस प्रवक्ता)
अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी अध्यक्ष)
सिद्धार्थ वरदराजन (संस्थापक संपादक, द वायर)
श्रीराम कर्री (निवासी संपादक, डेक्कन क्रॉनिकल)
समीर सरन (अध्यक्ष, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन)
पहले भी सरकार पर लग चुका है आरोप
ऐसा पहली बार हुआ है जब एपल ने संभावित साइबर अटैक को लेकर कुछ लोगों को चेतावनी दी है लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब सरकार पर विपक्ष की जासूसी को लेकर आरोप लगा है। इससे पहले 2019 में भी एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद बवाल मचा था जिसमें दावा किया गया था कि भारत समेत दुनियाभर के 100 से अधिक पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी हो रही है। इसके लिए दुनिया के सबसे ताकतवर हैकिंग सॉफ्टवेयर पिगासस (Pegasus) का इस्तेमाल किया गया था जिसे इस्राइल की एक कंपनी ने तैयार किया है। इसके बाद 2021 में भी एक रिपोर्ट आई थी जिसमें दावा किया गया था कि दुनियाभर के करीब 2,500 लोगों के फोन टैप किए गए हैं और इसके लिए भी Pegasus सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है।
मोदी सरकार पर पेगासस खरीदने का आरोप
2012 में अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत सरकार ने 2017 में इस्राइल का जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस खरीदा था। इसमें कहा गया था कि मोदी सरकार ने पांच साल पहले दो अरब डॉलर (करीब 15 हजार करोड़ रुपये) का जो रक्षा सौदा इस्राइल से किया था, उसमें पेगासस स्पाईवेयर की खरीद भी शामिल थी। इस रक्षा डील में भारत ने कुछ हथियारों के साथ एक मिसाइल सिस्टम भी खरीदा था।
अखबार ने अपनी सालभर लंबी चली अपनी जांच के बाद इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि अमेरिका की जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने भी इस्राइल की एनएसओ फर्म से पेगासस की खरीद की थी। एफबीआई ने इसे घरेलू निगरानी के लिए इस्तेमाल करने की योजना के तहत इसकी कई वर्षों तक टेस्टिंग भी की।