प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में उत्तर प्रदेश ने रफ्तार पकड़ी है। वर्ष 2001 से 2017 के बीच 17 वर्षों में जितना विदेशी निवेश यहां आया, उसका करीब चार गुना वर्ष 2019 से वर्ष 2023 के बीच महज पांच वर्षों में आया है।
उद्योग संवर्धन व आंतरिक व्यापार विभाग और रिजर्व बैंक आफ इंडिया के मुताबिक, 2000 से 2017 के बीच यूपी में केवल 3000 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया। जबकि 2019 से जून 2023 के बीच करीब 11 हजार करोड़ रुपये सीधे विदेश से निवेश किए गए।
एफडीआई में यूपी से ऊपर 10 राज्य, 22 को पछाड़ा
अक्तूबर 2019 से जून 2023 के बीच देश के अलग-अलग राज्यों में आए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की फेहरिस्त में यूपी 11वें स्थान पर आ गया है। यूपी से ऊपर महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल हैं। पश्चिम बंगाल में इस अवधि में 11335 करोड़ का निवेश हुआ और यूपी में 10535 करोड़।
आर्थिक रफ्तार को देखते हुए इस साल यूपी देश के शीर्ष 10 राज्यों में शामिल होने की उम्मीद है। यूपी ने पंजाब, आंध्र, केरल, मध्यप्रदेश, हिमाचल, बिहार, चंडीगढ़, गोवा, छत्तीसगढ़ सहित 22 राज्यों को पीछे छोड़ दिया है।
प्रदेश में अनुकूल माहौल से बढ़ा एफडीआई
निवेश किसी भी राज्य की प्रगति और सामाजिक व राजनीतिक माहौल का सूचकांक माना जाता है। जिस राज्य की छवि कम अपराध दर, राजनीतिक स्थिरता और उद्योगों को बढ़ावा देने वाली नीतियों की होगी, वहां निवेश की रफ्तार तेज व ज्यादा होती है। विदेशी कंपनियों से आने वाले निवेश के मामले में ये मानक और भी ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
इस क्षेत्र में यूपी की छवि सुधारने से ही एफडीआई में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है। आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों के मुताबिक, यूपी में पिछले 17 साल में केवल 3018 करोड़ रुपये का एफडीआई आया। वर्ष 14-15 में 679 करोड़ रुपये, 15-16 में 524 करोड़ रुपये, वर्ष 16-17 में तो महज 50 करोड़ रुपयेे का विदेशी निवेश आया। वर्ष 2000 से 2014 के बीच 14 साल में भी करीब 1800 करोड़ रुपये ही एफडीआई के रूप में यूपी आए।
इन सेक्टरों में खास फोकस
- सेवा प्रदाता सेक्टर,
- कम्प्यूटर साफ्टवेयर और हार्डवेयर,
- मोबाइल फोन व टेक्नोलाजी,
- निर्माण क्षेत्र,
- आटोमोबाइल,
- फार्मा, ट्रेडिंग,
- केमिकल,
- ऊर्जा और धातु क्षेत्र