एक बार फिर HC ने गंगाजल की सैंपलिंग पर उठाए ये बड़े सवाल…

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गंगा प्रदूषण मामले में एक बार फिर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। एसटीपी की क्षमता से अधिक पानी जाने से शोधन व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। माघ मेले में अस्थाई एसटीपी व नाले के बायोरिमेडियल शोधन की खामियों का जिक्र कर कहा, अनावश्यक धन खर्च हो रहा है। गंगाजल की सैंपलिंग के तरीके पर भी सवाल उठाए। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यवाही परखने को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट तलब की है।

कोर्ट ने कहा कि भारी अंतर पता चला है कि एसटीपी मानक का पालन नहीं कर रही, जबकि राज्य प्रदूषण बोर्ड सही होने की रिपोर्ट दे रहा है। गंगा प्रदूषण पर जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति एम के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ कर रही है। अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी।

कोर्ट में तलब प्रमुख सचिव पर्यावरण, उप्र ने सफाई दी, कहा कि हलफनामे अधिवक्ता के मार्फत ही दाखिल किए जाएंगे। महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने कहा, सरकार ने इस संबंध में उचित निर्देश जारी कर दिया है। पिछली तारीख पर प्रमुख सचिव के दाखिल हलफनामे की भ्रमात्मक खामियों को लेकर कोर्ट ने उन्हें बुलाया था। उन्होंने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सहित नालों की सफाई की योजना की जानकारी दी।

महाधिवक्ता ने कहा, वर्ष 2025 के महाकुंभ तक गंगा में प्रदूषित पानी जाने से रोकने व शोधन क्षमता बढ़ाने की योजना तैयार कर सरकार लागू करेगी। प्रमुख सचिव ने कहा कि बोर्ड स्वायत्त संस्था है, उसे कार्रवाई करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा, बायोरिमेडियल सिस्टम का इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। शोधन में खानापूरी की जा रही है। बैक्टीरिया गंगा में जा रहे।

न्यायमित्र अरुण कुमार गुप्ता ने इजराइल की तकनीक का हवाला दिया। कहा, इससे गंदे पानी को पीने लायक बनाया जा रहा है। उन्होंने कानपुर के चमड़ा उद्योगों से गंगा प्रदूषण का मुद्दा उठाया। साथ ही प्रयागराज में 40 प्रतिशत सीवर लाइन एसटीपी से न जोड़े जाने से गंगा प्रदूषित होने की बात की। अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि एसटीपी से शोधित पानी को सिंचाई के काम लाने की योजना पर अमल करने का आदेश दिया जाए।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद के मुकदमों को स्थानांतरित करने की मांग

इलाहाबाद हाई कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि, शाही ईदगाह विवाद को लेकर मथुरा की अदालत में विचाराधीन आधा दर्जन मुकदमों को स्थानांतरित करने की अर्जी दाखिल हुई है। हाई कोर्ट अथवा जिला जज की अदालत में मुकदमों को स्थानांतरित कर सुनवाई करने की मांग में दाखिल अर्जी को न्यायालय ने विचारणीय माना है। विपक्षियों को नोटिस जारी कर तामील रिपोर्ट सहित अर्जी की सुनवाई के लिए दो मार्च को पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य की तरफ से दाखिल स्थानांतरण अर्जी पर दिया है।

याची अधिवक्ता पीके शर्मा व विष्णु शंकर जैन का कहना है कि मथुरा की सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में प्रश्नगत सिविल वाद लंबित है। इसी तरह के समान कई अन्य वाद भी विचाराधीन है। भगवान श्रीकृष्ण के करोड़ों श्रद्धालु हैं। यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है। इनमें कानून एवं संविधान की व्याख्या के मुद्दे निहित हैं। याची ने सभी वाद हाई कोर्ट में या जिला जज की एक अदालत में स्थानांतरित करने की प्रार्थना की है, ताकि अलग-अलग अदालती कार्यवाही से विरोधाभास उत्पन्न न होने पाए। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने अर्जी की पोषणीयता पर आपत्ति की।

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